ट्रम्प से ज़बरदस्ती गले मिलने वाले मोदी कभी अखलाक और जुनैद के परिवार से भी गले मिल लें: अभिसार शर्मा

गाय और मजहब के नाम पर हत्या ज़िसे हम अब mob lynching का नाम देते हैं उसके नंगे नाच के खिलाफ मेरे विरोध के कुछ निजी कारण हैं. आप मुझे selfish या स्वार्थी ही कह सकते हैं. परवाह नहीं. जानते हैं क्या? मैं एक middle class family से आता हूँ.

मैं पढाई में बहुत औसत था. मगर हर पिता की तरह मेरे पापा की मुझसे उम्मीदें थीं. उनकी उम्मीदें मैं पूरी नहीं कर पाया. वही उम्मीदें अपने बच्चों से हैं. मैं चाहता हूँ वे खूब पढें लिखें, और scholarship लेकर बाहर किसी university में जायें. मगर मैं नहीं चाहता के उनके passport को लेकर उनपे तंज कसे जायें उन्हे गौ आतंकवादी कहा जाये. उनपे ताने कसे जायें. बिलकुल वैसे जैसा पाकिस्तानियों के साथ होता है.

Passport पर पाकिस्तान ठप्पा देखते एे ये शक के घेरे में अा जाते हैं. मैं नहीं चाहता के भारतीय passport शर्मिन्दगी का सबब बने. इन गौ आतंकियों ने मेरे देश की असमिता , उसके वर्चस्व पर हमला किया है. ये लोग मेरे देश को बदनाम कर रहे हैं. ये मुझे स्वीकार नहीं. मैं यह नहीं चाहता के बड़े होकर मेरे बच्चे मुझसे कहें के तुमने इस अन्याय का विरोध नहीं किया. क्योंकि तुम्हारी खामोशी का खमियाजा हम भुगत रहे हैं. मैं इसलिये नफरत की वेहशत के खिलाफ बोल रहा हूँ.

वर्तमान सरकार और उसकी विचारधारा के चाटुकार एक समानांतर propaganda के ज़रिये आपको बताने की कोशिश करेंगे कि गाय के नाम पर हत्यायें कोई नई बात नहीं. ये लोग सरकारी आंकडों को भी नजरअंदाज करेंगे. ये सिर्फ हमारे दया के पात्र हैं. ये नहीं देखना चाहते के इनकी चाटुकारिता का खमियाजा इनके बच्चे, इनकी आने वाली पीढी भुगतेगी. मेरी तरह यह भी स्वार्थी हैं. फर्क ये कि मैं अपने बच्चों के भविष्य के लिये और ये अपने त्वरित. निकटतम भविष्य के लिये. अपनी रोजी रोटी के लिये.

जुनैद, 15 साल के जुनैद को मार दिया तुमने. कितने ख्वाब सजाये होंगे उसकी मा ने. बिलकुल मेरी तरह. अपने बच्चों के लिये. उस मां का दर्द बयां, मेहसूस कर सकते हो तुम? बोलो?

ये मत उम्मीद करो के देश के प्रधानमंत्री या bjp के अध्यक्ष इस मुद्दे पे कोई बयान देंगे. आजाद भारत के इतिहास के ये सबसे कमजोर प्रधानमंत्री और नेता हैं. Trump इनसे बेशक गले ना मिलना चाहे, मगर उससे तीन तीन बार गले मिलेंगे, अपनी फजीहत करवायेंगे , मगर जुनैद या अखलाक के परिवार से गले कभी नहीं मिलेंगे. मुझसे इनसे कोई उम्मीद नहीं है.

मगर ये आपके लिये चुनौती है के आप हताश ना हों. उम्मीद का दामन ना छोड़ें. ये तो चाहते हैं के आप हिंसा का रास्ता अख्तियार करें. और आप पर वही तमगे लगाये जायें. आतांकवादी. देशद्रोही. और साथ मिलेगा कुछ फर्जी channels का भी मगर याद रखें, इंसानियत, मासूमियत और सच में बडी ताकत है. इसके सामने सभी तरह के झूठ बौने पड़ जाते हैं. ये लोग भी जानते हैं. इसलिये ये अहिंसात्मक विरोध से डरते हैं. उसका दामन मत छोड़ना.

और मैं भी तुम्हारे साथ हूँ और मेरे जैसे कई हिंन्दुस्तानी भी. क्योंकि उन सबको अपने भविष्य की चिंता है. निजी स्वार्थ ही सही. वो आपके साथ हैं.