अभिसार शर्मा का ब्लॉग: ‘मेरे देश के लिए रोने का वक्त है’

मेरे देश के लिये रोने का वक़्त है। अब ऐसा लगता है के फ्रिंज (fringe) यानी समाज के सतह पर बैठी संस्थाएं जो हिंसा फैलाती हैं और मुख्यधारा की बीजेपी मे कोई फर्क़ नहीं रहा। और ये कोई छोटा- मोटा नेता नहीं, सम्मानित पढे-लिखे केन्द्र मे मंत्री हैं।

अब ये हाल हो गया है बीजेपी का? जयन्त सिन्हा? ये भी नहीं कह सकता के विश्वास नहीं होता। सच तो ये है के मॉब लिन्चिंग के मुद्दे पर खुद मोदी खामोश हैं तो उन्के मंत्री ऐसे लोगों को सम्मानित करें ताज्जुब नहीं होता।

आप और हम हिन्दू- मुसलमान करते रहेंगे और ऐसे ही हमारे नेता नफरत को हमारी ज़िन्दगी का अभिन्न अंग बना देंगे। मॉब लिन्चिंग करने वालों को सम्मानित करना एक नया रसातल है बीजेपी के लिये भी।

मैं सोचता था के बीजेपी मे बस एक सोच है जो ऐसी बातों मे विश्वास करती है। मुझे लगता था बस सियासी कारणों से ऐसी सोच को नज़र अंदाज किया जाता था। मगर इस घटना ने सभी हदों को तोड़ दिया है।

आज हमारे नेता अपराधियों के साथ हत्यारों के साथ और उन्हे सम्मानित करने से भी परहेज नहीं करते। ये वाकई इस देश के लिये रोने का वक़्त है। बीजेपी ने फैसला कर लिया है के वो हमारी नसों मे नफरत भरने का काम करेंगे। वोट भी मिल जायेगा। क्योंकि जनता ने तो धतूरा चढ़ा रखा है नफरत का।

मुझे इस पीढ़ी की चिंता नहीं। मुझे चिंता है अपने बच्चों की कि ऐसी ऐसी सोच को बढ़ावा देकर हम किस आग डाल रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे इस माहौल को सामान्य समझकर ऐसी नफरतों में दफ़न हो जाए। याद रखना की कोई हद नहीं होती।

वो धर्म को देखकर दस्तक नहीं देती। वो जात देखकर दस्तक नहीं देती। बस फरमान होता है भीड़ का। बस हुक्म होता है एक वहशी जूनून का। आप देख रहे होंगे कैसे लोग किसी सियासी दल की प्रवक्ता की मासूम बेटी को बलात्कार की धमकी दे देते हैं।

कैसे बुजुर्ग विदेश मंत्री की किडनी और उनके स्वस्थ्य पर गंदी गंदी बातें करते हैं। ये इस देश का नया सच है। ये इस देश का नया चेहरा है। ऐसा कहने के लिए आप मुझे देश द्रोही भी नहीं कहेंगे क्योंकि इस वहशीपन में लौटते रहना तुम्हें पसंद है।

ये नजारा बहुत वीभत्स होगा कुछ लोगों के लिए। चिंता न करें। आदत हो जाएगी। जब नफरत को सामान्य करना पिछले चार सालों की विरासत हो सकती है तो ये तो बहुत साधारण चीज है। मगर एक बात तय है। लम्हों खता अब सदियाँ भुगतेंगी। तुम्हारी घटिया सियासत के लिए तुम देश तक को बदल डालोगे। वाकई देश बदल रहा है। मगर हाँ। तुम्हारे बच्चे तुम्हें माफ़ नहीं करेंगे। जय हिन्द।