मानो सामूहिक सम्मोहन किया गया हो. आज सुबह एक शो किया अपने चैनल पर जिसमे भारतीय रेल का पर्दाफाश किया था. मुद्दा ये था कि जो खाना आप खाते हैं, उसमे शौच के पानी का इस्तेमाल हो रहा है और ये पहली बार नहीं, खुद मैंने इसका एक्सपोज कुछ दिनों पहले किया था जिसमे शौच के पानी से लोगों को चाय कॉफी पिलायी जा रही थी.
जैसे मैंने कहा अभी अभी आज की बड़ी खबर मे ट्रेन लेट है वो तो बर्दाश्त कर लेंगे, मगर खाने मे शौच का पानी कैसे बर्दाश्त करेंगे? @PiyushGoyal? https://t.co/JCRx9kayUs
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) May 9, 2018
अगर पता होने के बावजूद, वो चपरासी नौकरी पर बना रहेगा तो वो तो मूर्खता है ना मेरी? रेल मंत्रालय यही कर रही है. सिर्फ फाइन लगाकर छोड़ रही है. हां, 2014 के बाद से चाहे कोई भी समस्या हो, विवाद हो, अब ठीकरा हम आदमी पर फोडेंगे. सही जा रहे हैं आप 🙏👏👏👏 https://t.co/oc5PQKuw4C
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) May 9, 2018
जब इसका प्रसारण हुआ तब कई ऐसे लोग सामने आए जो इसमे भी सरकार की तरफदारी करते दिखे. मैंने यही मुद्दा उठाया कि जो लोग आपके खाने मे शौच मिला रहे हैं, क्या उन्हे सिर्फ फाइन करके छोड़ा जा सकता है? क्या उनपर पाबंदी नहीं लगायी जानी चाहिए? और ऐसे मे सरकार का रवैय्या इतना ढीला क्यों है?
जब रेल्वे मंत्रालय खुद खबर को स्वीकार कर रही है, तो आप क्यों शौच का पानी पीने को आमादा हैं? भाईसाहब, बगैर टिकिट यात्रा करने वाले की वजह से आपके पेट मे शौच का पानी नहीं जा रहा है. इनलोगों ने आपको शौच का पानी पिलाया है! क्या कर रहे हैं आप? भक्ति की कोई तो सीमा हो? https://t.co/7jNSASLZgw
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) May 9, 2018
बहुत उम्दा. 👏👏👏👏👏 https://t.co/0bqRqxOjgL
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) May 9, 2018
आपको किस सवाल का जवाब मुझसे चाहिए.? जब आप शौच का पानी पीने को तैयार हैं और तब भी रेल्वे मंत्रालय से सवाल नहीं करेंगे? और मुझ से ही सवाल करेंगे? डूबते रहिये दुबे जी https://t.co/Rg0dQxGZGB
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) May 9, 2018
आप विश्वास नहीं करेंगे कि कुछ लोग इस मुद्दे पर भी रेलवे मंत्रालय के पक्ष मे दिखाई दिए. आप कुछ लोगों के ट्वीटस पढ़ सकते हैं. ध्यान से देखिए इन्हें. विश्वास नहीं होगा. उनका मानना था कि इससे ज़्यादा और क्या किया जा सकता है. ये भी कि आर्थिक दंड तो बगैर टिकिट की यात्रा के लिए भी होता है और इसके लिए भी सिर्फ यही होना चाहिए.
और आप कब तक शौच का पानी पीते रहेंगे और uff तक नहीं करेंगे? 😂 https://t.co/7JS0b2eywD
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) May 9, 2018
सरकार ने अच्छा किया. यानी कि वही शौच परोसने वाले कांट्रेक्टर हमारे बीच फिर एक्टिव हो गए हैं, न जाने अब क्या परोसेगे, उन्हे इस बात की कोई चिंता नहीं है. मल मूत्र खा लेंगे मगर मोदी सरकार की आलोचना बर्दाश्त नहीं करेंगे. कुछ लोगों ने तो सीधा ठीकरा जनता पर फोड़ डाला कि ये जनता अपने गिरेबां मे झांक कर देखे.
एक लाख का जुर्माना है ना? इसके बाद नियति है शौच का पानी पीने की @abpnewshindi पर आज की बड़ी खबर https://t.co/i8LBooS1Dh
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) May 9, 2018
इसकी ज़िम्मेदारी रेल्वे मंत्रालय की नहीं हो सकती. यानी कि ट्रेन लेट हो, एक्सिडेंट होते रहें, खाने मे शौच परोसा जाते रहे, मगर मोदी सरकार से कोई सवाल नहीं! हम “गू” खा लेंगे, मगर ये सरकार कुछ गलत नहीं कर सकती. क्या लोगों के ज़हन मे इस कदर सियासी गू भर दी गयी है? कि हम सवाल ही नहीं करेंगे और जो करेगा उसे ना सिर्फ खामोश करेंगे बल्कि उसके खिलाफ हर किस्म का झूठा और घटिया प्रोपोगंडा चलाएंगे?
पूरा वीडियो देखिए संजय , दस बजे आज की बड़ी खबर मे @abpnewshindi पर . आपका खाने के लिए गरीब रथ मे हुआ शौच के पानी का इस्तेमाल . https://t.co/lfpFjP9zVT
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) May 9, 2018
क्या सत्तासीन लोगों को आभास है कि घृणा और नफरत की सियासत ने हमें किस मोड़ पर ला दिया है?
कठुआ और उन्नाव मे रेप पर हम आरोपी के पक्ष मे खड़े हो जाते हैं. ऐसा पहले होता देखा है कभी? न सिर्फ उसके पक्ष मे बल्कि बीजेपी नेताओं की शर्मनाक हरकत को जायज़ ठहराने का ज़रिया ढूंढते हैं? पोस्टमोर्टेम रिपोर्ट को गलत ढंग से पेश किया जाता है? सच सामने आए. ज़रूर आए. मगर झूठ का सहारा क्यों?
उन्नाव मे गैंग रेप मे विधायक के पक्ष मे जिस तरह योगी सरकार ने सार्वजानिक तौर पर और अदालत के सामने अपनी नाक कटवाई है, ये तो अप्रत्याशित है! ऐसा कब हुआ है जब सरकार रेपिस्ट के साथ खड़ी दिखाई देती है? और जनता मे इस बात का कोई आक्रोश नहीं? और ये सब नफरत के चलते? माफ कीजिए ये भक्ति नहीं है. ये एक श्राप है. एक ऐसा काला श्राप जो आपको आने वाले वक़्त मे भुगतना होगा. जब आपने नाकाम सरकार से सवाल करना बंद कर दिया था.
मुझे ताज्जुब नहीं के लोग खाने मे शौच बर्दाश्त कर सकते हैं, धर्म के नाम पर खुला खेल खेल रही सरकार से सवाल नहीं कर सकते! क्योंकि यही शौच पिछले कुछ अर्से से उन्हे हर जगह परोसा जा रहा है. टीवी चैनलों पर खबरों के नाम पर घृणा और दोहराव पैदा करना, लोगों के खिलाफ, धर्म विशेष के खिलाफ माहौल बनाना. दंगा तक भड़काने से परहेज़ ना रखना और जो समझदारी की बात करे, उसे खामोश कर देना. सूचना प्रसारण मंत्रालय से अदृश्य फरमान जारी करके लोगों की ज़ुबान पर अंकुश लगाना? तो जब नफरत परोसी जाएगी तो दिमाग मे तो गोबर ही तो भरेगा ना? तब लोगों को शौच युक्त खाना खाने मे क्या दिक्कत होगी, जब आए दिन उन्हे न्यूज चैनल के ज़रिए यही परोसा जा रहा हो, जब चुनावी मंचों पर श्मशान, कब्रिस्तान जैसी बातें की जाती हो! जब देश के प्रधानमंत्री विदेश जाकर कहते हों कि रेप पर सियासत नहीं होनी चाहिए और कुछ दिनों बाद यानी एक हफ्ते के अंदर उसे भूल कर, कर्नाटक की सियासी भूमि मे उसी बात का गला घोंट देते हों?
जिन्ना मर गए. उनकी एक तस्वीर अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय मे होगी, मगर उस मुद्दे को दोबारा उठा कर हमने लाखों जिन्ना अपने टीवी स्टूडियो के ज़रिए देश भर मे जन्म दे दिए!
किसी ने ये नहीं पूछा कि बीजेपी सांसद सतीश गौतम इस मुद्दे को अब क्यों उठा रहे हैं? क्योंकि आज़ादी के इतने साल बाद भी मोदी सरकार आपको पीड़ित बने रहने का पाठ पढ़ा रही है. कि बेचारा हिंदू अब भी मुगल काल की तरह इन अत्याचारी मुसलमानों के हाथ मे बंधक है. और जब हम सरकारी प्रोपगंडा जिसे कुछ नयूज चैनल के ज़रिए प्रसारित किया जाता है, पर विश्वास करते हैं, तो इसी तरह हम अपने भोजन मे भी मल मूत्र बर्दाश्त कर लेते हैं.
ये बना दिया है भक्ति ने आपको. जो व्यक्ति हमारा नायक होता है, वो हमें प्रेरित करता है, बेहतर बनने के लिए, मगर हम तो और भी रसातल मे जा रहे हैं. गलत बयानी, झूठ मानो अब उपलब्धियां हो गयी हैं! किसी के बारे मे कुछ भी बोल दो, बगैर प्रमाण के उस पर विश्वास करके इंसान को सूली पर लटका दिया जाता है.
त्वरित सियासी फायदे के लिए बीजेपी इस देश को कहां ढकेल रही है क्या अंदाज़ा है आपको? क्या अंदाज़ा है पार्टी के नेताओं को? वो भी क्या करेंगे जब घृणा की गंगोत्री ऊपर से बहती हो तो! दुखद है. और मुझे दुख मौजूदा पीढ़ी का नहीं, चिंता अपने बच्चों की है कि विरासत मे उन्हे क्या दिए जा रहा हूं!
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