उन्नाव और कठुआ में आरोपियों का संबंध एक विशेष राजनीतिक पार्टी से है, वह यह समझते हैं कि उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता

मछली सर से सड़ती है, यह पुरानी कहावत है। कठुआ और उन्नाव के भयानक घटनाओं की असल जड़ें आज के राजनीतिक माहौल में नहीं मिलेंगी। बल्कि हमको लगभग 80 साल पहले यह सफर शुरू करना पड़ेगा।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

एक आठ साला मासूम बच्ची का बलात्कार ऐसे दरिंदगी से की गई कि अगर वाकई कोई भी उस दृश्य को सोच ले तो उसकी रात की नींदें हराम हो जायेंगी। उधर उन्नाव में एक पिछड़े वर्ग की लड़की का बलात्कार एक उच्च वर्ग के राजनेता और उसके साथियों के हाथ हुई। अगर कठुआ में लोग यह संदेश भेजना चाह रहे थे कि गूजर मुसलमान इस क्षेत्र से दूर चले जाएँ तो उन्नाव में एमएलए यह संदेश भेज रहा था कि हम अपने पद और सत्ता की वजह से एक अपने पड़ोसी की बेटी को भी अपनी जायदाद समझते हैं।

इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि कठुआ और उन्नाव में आरोपियों का संबंध एक विशेष राजनीतिक पार्टी से है। दोनों जगहों में हिंदुत्व के मतवाले यह समझते हैं कि उनको कोई छू नहीं सकता है, क्योंकि उनके आक़ा और प्रतिनिधित्व सत्ता में हैं।

अगर उन्हें संगठनों की राजनीतिक इतिहास और विशेषकर उनके संस्थापकों का परिदृश्य देखा जाये तो बहुत ही जल्द साफ़ होगा कि बलात्कार एक राजनीतिक हथियार है, जिसको अपनाया जा रहा है। इसको समझने के लिए आपको इतिहास का अध्ययन करना ही पड़ेगा।