पहली बार उद्योगपति गौतम अदानी के भ्रष्टाचार से जुड़े दस्तावेज ब्रिटेन के एक प्रमुख अख़बार के हाथ लगे हैं। ये दस्तावेज अदानी ग्रुप द्वारा 1500 करोड़ के घपले का खुलासा करते हैं।
डाइरेक्टर ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) की रिपोर्ट कहती है कि अदानी ग्रुप ने अपने महाराष्ट्र स्थित प्रोजेक्ट के लिए जिन मशीनों को इम्पोर्ट किया उसकी इनवॉइस (रसीदों) को बढ़ा चढ़ाकर (ओवर वैल्यूएशन) पेश किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार अडानी ग्रुप ने दुबई की कंपनी से इन उपकरणों को चार गुना से भी अधिक कीमतों में खरीदा।
साथ ही डीआरआई की रिपोर्ट कहती है कि अदानी ग्रुप द्वारा पैसों के हस्तांतरण में एक बड़ा हिस्सा घपले को उजागर करता है। डीआरआई ने खुलासा किया कि अडानी ग्रुप द्वारा करोड़ों रूपये टैक्स हैवन देशों को भेजे गए।
वही इस मामले में रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) का कहना है कि अदानी समूह ने दुबई में एक शेल कंपनी का उपयोग करके महाराष्ट्र में बिजली परियोजना के लिए कई सौ करोड़ के उपकरण का आदेश दिया था। जिसमे दुबई स्थित इस कंपनी ने ये उपकरण दक्षिण कोरिया से खरीदे।
आरोप है कि इन उपकरणों को दुबई स्थित कंपनी ने भारत में अदानी ग्रुप को बेहद ज्यादा कीमतों पर बेच दिया।
डीआरआई की 97 पेजों की रिपोर्ट कहती है कि अडानी ग्रुप ने इसके लिए भारत से दुबई पैसे भेजे और यह पैसे दक्षिण कोरिया होते हुए मोरिशस स्थित एक ऑफशोर कंपनी में भेजे गए।
रिपोर्ट के अनुसार इन पैसों को मॉरीशस कि जिस कंपनी में भेजा गया वह गौतम अदानी के बड़े भाई विनोद अदानी की थी।
डीआरआई ने आरोप लगाया है कि पैसे का एक बड़ा हिस्सा अदानी समूह ने ऑफशोर खातों में जमा किया था जिसमें भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के लोन भी शामिल थे।
हालाँकि डीआरआई ने किसी ऋणदाता को इस मामले में दोषी नही ठहराया है। अदानी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है।