राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में हिन्दू और मुसलमानों के बीच कभी भेदभाव नहीं था। दोनों में हमेशा से एकता रही है।
लेकिन अंग्रेजों ने मुस्लिम लीग की स्थापना के साथ भेदभाव को बढ़ावा दिया। वह बनारस में आयोजित संघ की समन्वय बैठक के आखिरी दिन बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि ‘हम हमेशा से एक रहे हैं. 1857 से पहले, देश में हिंदू-मुस्लिमों के बीच एकता थी। लेकिन अंग्रेज़ों ने 1905 में मुस्लिम लीग स्थापित किया और समाज में कट्टरता को बढ़ाया। वहीं लोग अब भी यही काम कर रहे हैं।’
संघ प्रमुख ने कहा कि लोगों को भारत में विद्रोह फैलाने वाली ताकतों से सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत की बढ़ रही प्रतिष्ठा और विकास से जो लोग खुश नहीं हैं, वही गलत इतिहास बता कर समाज में नफरत फैला रहे हैं।
भागवत ने कहा कि भारत में खराब काम के मुकाबले 20 गुना अधिक अच्छे कार्य हो रहे हैं, लेकिन अच्छे काम की चर्चा से अधिक प्रचार खराब काम का होता है।
मोहन भागवत ने कहा कि कोई भी पंथ, समुदाय या व्यक्ति अगर समाज की सेवा लगा है, तो उसका प्रचार और मदद करनी चाहिए। संघ इन समाजसेवी लोगों से निरंतर संपर्क में रहे और एक-दूसरे पूरक के बने। समाज में बहुत से लोग प्रमाणिकता के साथ समाज में कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोगों की मेहनत से ही श्रेष्ठ समाज बनेगा।
समाज की सेवा करने वाले सच्चे लोग अपनी सेवा को भुनाते नहीं है, न तो उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा होती है। ऐसे लोगों की मेहनत से ही समाज में अच्छा कार्य होता रहता है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्वंसेवकों के समर्पण से ही संघ चलेगा. आरएसएस और उससे जुड़े संगठन के लोगों के अंदर बाहर का अंधकार नहीं आना चाहिए। सभी लोग संघ पर अगाध श्रद्धा बनाते हुए अपना सफर जारी रखे।
सौजन्य- firstpost