स्वच्छ भारत के बाद, मोदी सरकार-2 का ‘सभी के लिए नल से जल’ पर फोकस

नई दिल्ली. मोदी सरकार-2 में जल जीवन मिशन के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस देश के हर घर तक नल से जल पहुंचाने पर हो सकता है। सरकार ने इसके लिए जल शक्ति मंत्रालय बनाया है, मंत्रिमंडल में इसकी जिम्मेदारी राजस्थान के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपी गई है। चुनाव से पहले भाजपा ने संकल्प पत्र में स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी थी। पिछली एनडीए सरकार में स्वच्छ भारत मिशन के तहत साफ सफाई पर जोर दिया गया था।

पहले कार्यकाल में स्वच्छ भारत मिशन के साथ देशव्यापी स्वच्छता अभियान के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद की जाती है कि उनका दूसरा कार्यकाल शुरू होने के साथ ही पानी के संबद्ध मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। राजस्थान के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में, नए मंत्रालय ने 2024 तक भारत के हर घर में पाइप से पानी के कनेक्शन प्रदान करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए बॉल रोलिंग शुरू की है। सूत्रों के अनुसार, जल शक्ति मंत्रालय एक विभाग के तहत जल प्रबंधन और विनियमन के सभी पहलुओं को लाने के लिए पेयजल और स्वच्छता के साथ जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प के मंत्रालयों का विलय करता है।

हर घर में पीने का पानी उपलब्ध कराने की योजना ‘नल से जल’ सरकार के जल जीवन मिशन का एक घटक होगा। यह 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए जारी भाजपा के विज़न डॉक्यूमेंट में किए गए प्राथमिक वायदों में से एक था। नए जल शक्ति मंत्रालय में जल संसाधन, नदी विकास, गंगा जीर्णोद्धार और पेय जल एवं स्वच्छता विभाग को शामिल किया जा सकता है। नल जल योजना के तहत सरकार ने 2024 तक देश के हर घर में पानी की पाइप लाइन और नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

एक अधिकारी ने बताया कि नए मंत्रालय का पहला काम देश में मौजूद जल स्रोतों का संरक्षण करना है। इसके लिए मनरेगा योजना की मदद ली जाएगी। जल स्रोतों को बचाने के लिए कुछ महीने पहले इजराइल और भारतीय अधिकारियों की नीति आयोग के साथ बैठक भी हो चुकी हैं। इजराइल में पाइप लाइन के जरिए लोगों को पेय जल उपलब्ध कराया जा रहा है। फिलहाल, भारत में भूजल का 4% पानी पीने और 80% पानी खेती में इस्तेमाल होता है। पिछले साल आई नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, 60 करोड़ भारतीय गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। स्वच्छ पेय जल नहीं मिलने से देश में हर साल 2 लाख लोगों की मौत हो जाती है। अनुमान है कि 2030 तक देश में पानी की मांग मौजूदा वक्त से दोगुनी हो जाएगी, अगर इसे पूरा नहीं किया गया तो इससे जीडीपी में 6% तक की गिरावट आ सकती है।