क़र्ज़ से बाहर आया हाबिल खोराकीवाला का वोकहार्ट समूह

1970 के दशक के शुरुआती दिनों में एक युवा हाबिल खोराकीवाला को मुम्बई के बाहर एक कारखाना स्थापित करने के लिए आगे बढ़ने का मौका मिला। मालूम हो कि खोराकीवाला परिवार पुश्तैनी रूप से बिजनेस करता रहा है।

मुंबई के इर्दगिर्द फैली पुरानी सुपरमार्केट चेन, अकबरअलीज उसी की है। इसी परिवार ने 1959 में वर्ली केमिंकल्स वर्क्स नाम की कंपनी बनाई थी। इसका जिम्मा हाबिल खोराकावाला को मिला तो उन्होंने लीक से हटकर इसे जबरदस्त दवा कंपनी बना दी।

हाबिल खोराकीवाला वॉकहार्ट समूह के संस्थापक अध्यक्ष हैं। समूह ने पहले अपने दस अस्पताल फोर्टिस को 650 करोड़ रुपए में बेचने का करार किया। फिर प्रबंधन ने तय किया कि न्यूट्रिशन और पशु दवाओं का धंधा बेच दिया जाए।

अमेरिकी कंपनी एब्बट उसका न्यूट्रिशन बिजनेस खरीदने को तैयार हो गई। लेकिन एफसीसीबी धारक वोकहार्ट को कोर्ट में घसीट ले गए। यह डील रद्द हो गई। आखिरकार बॉम्बे हाईकोर्ट के माध्यम से सुलह-सफाई हुई।

कंपनी उत्सुक समय पर है क्योंकि यह लंबे समय बाद क़र्ज़ से बाहर निकली है। इसके चार कारखानों अभी भी एफडीए स्कैनर के अंतर्गत हैं। एक समेकित आधार पर लाभ और हानि खाते में भारी कमी है। 2016-17 में वोकहार्ट ने 4,128 करोड़ रुपये के राजस्व पर 226 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था और 30 सितंबर 2017 को समाप्त हुई छमाही वर्ष में उसने 2,004 करोड़ रुपये के राजस्व पर 470 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया। जहां तक वोकहार्ट के शेयर में निवेश की बात है तो पहले कही गई अपनी बात पर वह कायम हैं।

पिछले तीन महीनों में कंपनी के शेयर की कीमत में स्मार्ट रिकवरी की है। हालांकि, बाजार पूंजीकरण के मामले में भारतीय फार्मा की बड़ी कंपनियों में रैंकिंग 2013 में 6 वें स्थान से 2018 में 22 हो गई है, ऐसा लगता है कि बाजार स्टॉक पर शर्त लगाने के लिए तैयार हैं।