ओवैसी के बयान को साम्प्रदायिकता से जोड़ने वाले ही असल में देशद्रोही हैं-आसिफ आर एन

हाल ही में अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा ये कहे जाने पर जाने कि हिंदुस्तान जितना मोदी का है उतना ही हम मुसलमानों का भी है तो इसमें साम्प्रदायिकता कहाँ से आगयी?

हाँ ये सच है कि ओवैसी का तेवर सख्त था जो नहीं होना चाहिए मैं भी इसका “कड़ी निंदा” करता हूँ मगर अकबरुद्दीन ओवैसी की बात तो बिलकुल गलत नहीं है। मशहूर शायर डॉ राहत इंदौरी का एक शेर है की “सभी का खून है शामिल यहां की मिटटी में,किसीके बाप का हिंदुस्तान थोड़े है” राहत इंदौरी ने ये शेर पूरी दुनिया में मुशायरों ही नहीं कवि सम्मेलनों में भी पढ़ कर खूब वाहवाही बटोरी है और कुछ ही दिन पहले कपिल शर्मा ने अपने शो में राहत इंदौरी से विशेष रूप से इस शेर की फरमाइश कर अपने दर्शकों को सुनाने की अपील की और जब राहत इंदौरी ये शेर पढ़ते हैं तो दर्शक खड़े होकर तालियां बजाते हैं साथ ही कपिल शर्मा वाह करते हैं और तो और नवजोत सिंह सिद्धू इस शेर पर अपनी कुर्सी से उठकर राहत इंदौरी को गले लगाकर हौसला बढ़ाते हैं।

अब गौर कीजिये की राहत इंदौरी के इस शेर में और अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा भाषण में कही गयी बात में फर्क क्या है। तो क्या कपिल शर्मा,कपिल शर्मा का शो और नवजोत सिंह सिद्धू सम्प्रदायिक हो गए??

जो मुस्लिम नेता ओवैसी के इस बयान की निंदा कर रहे हैं वो आरिफ नसीम खान,अबू आसिम आज़मी,नवाब मलिक या हाजी अरफात शेख हों ये सब खुद जानते हैं ओवैसी ने गलत बोला है या सही मगर ये भी अपनी अपनी सियासी पार्टियों के नियमानुसार आगे आकर खुद को सेक्युलर साबित करने का मौका हाथोहाथ ले लिए।

जहाँ एक तरफ देश भर में भ्रष्टाचार,जाति और धर्म के नाम पर हत्या और बेरोज़गारी चरम पर है वहीँ दूसरी तरफ GST का बोझ थोप कर गरीबों के साथ अमीरों की जेब पर डाका डाला गया है मगर मीडिया के कुछ पेड चैनल GST पर तार्किक बहस करने की बजाय और GST से होने वाले नुकसान को छुपाने के लिए ओवैसी के बयान को हवा देकर मुद्दे से भटकाने का काम करने में लग गयी है। मुझे ये कहने में ज़रा भी संकोच नहीं कि अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान को साम्प्रदायिकता से जोड़ने वाले खुद सांप्रदायिक और असामाजिक तत्व हैं!

आसिफ आर एन

(ये लेखक के निजी विचार हैं)