लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य लोक सेवा आयोग की 2012 से होने वाली अब तक की नियुक्तियों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का कल घोषणा की है। श्री योगी ने विधानसभा में बजट पर होने वाली चर्चा के दौरान सदन में कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है।
इसलिए 2012 से अब तक होने वाली नियुक्तियों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराई जाएगी। जांच होगी, कार्रवाई होगी। हरियाणा के एक मुख्यमंत्री नियुक्तियों में धांधली के आरोप में ही दस साल से जेल में सड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि 15 मार्च 2012 को मुख्यमंत्री के रूप में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शपथ ग्रहण किया था। उनकी सरकार पांच साल चली। उनकी सरकार के कार्यकाल में आयोग की नियुक्तियों पर कई बार सवाल खड़े हुए। इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देना पड़ा था। उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं के अधिकार मरने नहीं देंगे। नियुक्तियों में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी थी। नियुक्तियों के कागजात में आग भी लगा दिए गए। अब ऐसा नहीं होगा। जांच होगी और दोषी बख़्शे नहीं जाएंगे।
श्री योगी एक घंटा 36 मिनट के अपने भाषण में काफी आक्रामक दिखे। उन्होंने सपा पर तेज हमले किए उनका कहना था कि बहुजन समाज पार्टी के नेता लालजी वर्मा कह रहे थे कि फ़ाइलें जलाई गईं। वाकई भर्ती में यही हुआ। पुलिस भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली किया गया। तीन साल में डेढ़ लाख पुलिसकर्मियों की भर्ती की जाएगी। इसी साल 33 हजार करेंगे जिसमें तीन हज़ार सब इंस्पेक्टर और 30 हजार सिपाहियों की भर्ती होगी। भर्ती पूरी तरह से पारदर्शी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दस वर्षों में जितनी भी नियुक्तियां हुई सब पर उंगली उठी क्योंकि नियुक्ति करवाने वालों की नीयत साफ नहीं थी। युवाओं को उनके अधिकार से वंचित किया गया। विपक्ष और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोविंद चौधरी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, कि ” आप लोग गैर वित्तीय सहायता वाले स्कूल के शिक्षकों को भड़का कर अराजकता फैलाते हैं। शिक्षक भर्ती नहीं हुए तो इसके लिए दोषी आप हैं। मेरी सरकार नहीं। मुझे आए तो अभी चार महीने ही हुए हैं। उनके माध्यम से आप लोग अराजकता फैला रहे हैं।