जानिए, क्या है मस्ज़िदे अक्सा का पूरा मामला?

अलअक़्सा के हवाले से चन्द बातें समझनी बहुत ज़रूरी हैं। मुसलमानों का ईमान है कि मस्जिद अलअक़्सा हज़रत आदम के ज़माने की है और रू ए ज़मीन पर दूसरी मस्जिद है। इस्लामी तारीख़ में मस्जिद अलअक़्सा को क़िबला ए अव्वल कहकर पुकारा जाता है यानी नबी ए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने में जब तक काबा पर मुशरिको का क़ब्ज़ा था, मुसलमान अलअक़्सा की तरफ़ मुँह करके नमाज़ पढ़ते थे।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने 17 महीनों तक मस्जिद अल अक़्सा की तरफ़ रुख़ करके नमाज़ अदा की है। अल अक़्सा का 35 एकड़ का इहाता है जिसमें इस्लामी तारीख़ के 44 आसारे क़दीमा मौजूद हैं।

मस्जिद अलअक़्सा मशरीक़ी यरूशलम यानी East Jerusalem में है। दूसरी आलमी जंग के बाद जब फ़िलस्तीन पर इस्राइल नाम के सहयूनियों (ज़ालिम यहूदियों) का क़ब्ज़ा हो गया तब भी मस्जिद अलअक़्सा फ़िलस्तीन का हिस्सा मानी गई।

यहूदियों का मानना है कि मस्जिद अल अक़्सा ही वह जगह है जहाँ हज़रत सुलेमान अलैहिससलाम का उन्हें मंदिर बनाना है। इसलिए यहूदी मस्जिद अलअक़्सा पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं। क्योंकि यहूदी मानते हैं जिस दिन वह हज़रत सुलैमान अलैहिससलाम का मंदिर बना लेंगे तो उन्हें वह तिलिस्मी किताबें हासिल हो जाएंगीं जिनकी मदद से वह अपने मसीहा दज्जाल को जल्दी बुला लेंगे और वह दुनिया से मुबय्यना तौर पर इस्लाम को ख़त्म कर देगा और यहूदियों को वह इस्राइल अता करेगा जिसकी झूठी दलील वह मंसूख़ किताब तौरेत में गढ़ चुके हैं। यहूदी भी मस्जिद में इस्राइली पुलिस की सिक्योरिटी के साथ पूजा के लिए आते हैं।

फ़िलस्तीनी अपनी जान की क़ुरबानी देकर भी अलअक़्सा की बाज़याबी और आज़ादी के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हालांकि कई बार इस्राइली फौजों और पुलिस ने कई हथकंडे अपना कर मस्जिद अलअक़्सा पर क़ब्ज़े की कोशिश की है जिसके तहत वह कई बार 50 साल से ज़्यादा उम्र के फ़िलस्तीनियों के मस्जिद में एंट्री पर रोक लगाते रहे हैं और मस्जिद के गिर्दो पेश में खाइयां खोद रहे हैं ताकि मस्जिद की बुनियाद को कमज़ोर करके उसे गिराकर हादसे के तौर पर दिखा दिया जाए।

मस्जिद अल अक़्सा के नाम पर आप जो सुनहरा गुम्बद देखते हैं दरअसल इसका नाम ‘डोम ऑफ़ रॉक’ यानी ‘चट्टानी गुम्बद है। यह मस्जिद के अहाते में ही है लेकिन मस्जिद इसके एकदम पीछे अहाते के कोने में है।

मस्जिद अलअक़्सा पर हालिया टेंशन 14 जुलाई से शुरू हुई जब 2 इस्राइली पुलिसवालों के मर्डर के बाद इस्राइल ने मस्जिद पर गेट लगा दिए और 50 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को अंदर नहीं जाने दिया गया, मस्जिद में इस्राइली पुलिस घुस गई और मस्जिद को नुक़सान पहुँचाया।

इसके ख़िलाफ़ फ़िलस्तीनियों ने बग़ावत कर दी और कई दिन मस्जिद को घेरकर रखा। फ़िलस्तीनियों के ग़ुस्से और दुनिया में अपनी छब ख़राब होते देख इस्राइल ने सभी उम्र के फ़िलस्तीनियों को मस्जिद में दाख़िले की इजाज़त दे दी (जब ईस्ट जरूसलम फ़िलस्तीनियों का है तो इजाज़त किस बात की) और गेट हटा लिए लेकिन सिक्योरिटी के नाम पर ख़तरनाक लेज़र कैमरे लगा दिए हैं।

इस्राइली पुलिस अब भी मस्जिद कम्पाउंड में ही डेरा डाले हुए है और बात बेबात गोलियाँ चलाती हैं जिससे 14 जुलाई के बाद से अब तक 15 फ़िलस्तीनी शहीद हुए और इस्राइली पुलिस की गोलियों से 1400 लोग ज़ख़्मी हुए हैं।

कुछ फ़िलस्तीनी मुसलमानों का कहना है कि इस दौरान जब तक मस्जिद पर इस्राइल का क़ब्ज़ा था उसकी दीवारों पर इस्राइलियों ने ख़तरनाक कैमीकल पेंट कर दिया है।

अलक़ुद्स इंटरनेशनल सेंटर के हैड हसन ख़ातिर का कहना है कि इस्राइली पुलिस ने मस्जिद अलअक़्सा से जुड़े दस्तावेज़ चुरा लिए हैं जो मस्जिद की देखरेख कर रही अलक़ुद्स इस्लामी वक़्फ़ के अहाते के दफ्तर में रखे हुए थे। यह दस्तावेज़ साबित करते हैं कि मस्जिद अलअक़्सा पर फ़िलस्तीनियों का हक़ है।

सवाल यह कि जो मस्जिद अलअक़्सा हज़रत आदम के ज़माने से लेकर हज़रत याक़ूब, हज़रत सुलैमान, हज़रत इब्राहीम, हज़रत इस्माईल, हज़रत मूसा और हज़रत ईसा अलैहिससलाम से लेकर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक मुसलमानों के पास रही, उस पर इस्राइली नापाक क़ब्ज़ा क्यों करना चाहते हैं और वो चाहते हैं तो क्या इस साज़िश की पूरी दुनिया के मुसलमानो को भनक है।

क्या मस्जिद अलअक़्सा के हवाले से मुसलमान को ख़बर है कि क़ुरआन में सुर: अलक़सास में मस्जिद का ज़िक्र है। इसी मस्जिद अलअक़्सा को गिराने के लिए इस्राइली सहयूनी क्या क्या हथकंडे अपना रहे हैं।

मस्जिद अलअक़्सा की आज़ादी तब होगी जब वहाँ इस्राइली सहयूनी यहूदी पुलिस हटेगी, उसका पूरी तरह से क़ब्ज़ा फ़िलस्तीनियों को मिलेगा, जब फ़िलस्तीन आज़ाद होगा और यरूशलम से ग़ैर ज़रूरी यहूदी आबादियाँ हटाई जाएंगीं।

यरूशलम में फ़िलस्तीनियों की ज़मीन पर ग़ैर क़ानूनी यहूदी आबादियों में कोका कोला की फ़ैक्ट्रियाँ चलती हैं।मुसलमानो से कोका कोला छूट नहीं रहा और दम भरते हैं अलअक़्सा और फ़िलस्तीन की आज़ादी की।

  • अंजलि शर्मा