आजमगढ़। उत्तर प्रदेश देश का वो राज्य है जहां राजनीति में पैसे और बाहुबल का काफी बोलबाला है लेकिन यहां एक ऐसा उम्मीदवार भी चुनाव लड़ा है जिसके बैंक खाते में दस हज़ार रुपए नहीं हैं। क्या आप ऐसे प्रत्याशी की जीत की कल्पना कर सकते है, शायद नहीं। वह तीन बार निजामाबाद सीट से विधायक रहे हैं और पांचवीं बार किस्मत आजमाने के लिए चुनाव लड़े हैं।
आजमगढ़ शहर की गलियों में वो दिखाई दे जाता है, परिवार काफी बड़ा है और सब साथ रहते हैं। इलाके में उनकी साख है लेकिन उसका रसूख उसके रहन-सहन में नदारद है। यह हैं 82 वर्ष के आलम बादी। वह उत्तर प्रदेश की रोडवेज बसों से यात्रा करते हैं, सस्ते कपड़े पहनते है। उनके पास खुद की कोई कार नहीं है। साल 2012 में अखिलेश यादव सरकार द्वारा मंत्री पद की पेशकश की थी, लेकिन इसे लेने से इनकार कर दिया और कहा कि वह केवल लोगों के लिए काम करना चाहते हैं। उस वक़्त उनके बैंक खाते में 9 हजार रुपये थे और वह 1000 रुपये की कीमत का हैंडसेट रखते हैं।
आलम बादी का कहना है कि अपने चुनाव अभियान में उन्होंने केवल 2 लाख रुपए खर्च किये है। बादी ने पिछला चुनाव भी एक बहुत ही कम बजट में लड़ा था।
बादी समाजसेवा के लिए तत्पर रहते हैं वो अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के बीच खर्च 8 घंटे रोजाना रहते हैं। वह कहते हैं कि जब वह लोगों के बीच प्रतिदिन सुबह 9 से शाम 5 बजे तक रहते हैं तो विशेष चुनाव प्रचार करने के लिए कोई ज़रूरत नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि एक बार वह चुनाव हार गए तो भी लोगों के बीच जाना नहीं भूले। 1996 में पहली बार समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और जीत गए। तब से अब तक 3 बार चुनाव जीत चुके हैं, 5वीं बार लड़ रहे हैं, सिर्फ एक बार थोड़े से वोटों से हार गए थे।