अलवर में महापंचायत-रकबर खान की हत्या के दोषियों को सजा और परिवार को 50 लाख मुआवजे की मांग

हरियाणा के नूंह जिले में गोतस्करी के आरोप में अकबर उर्फ रकबर खान की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के कुछ दिन बाद रविवार को कोलगांव में महापंचायत हुई. इस पंचायत का उद्देश्य शांति और भाईचारे को प्रमोट करना और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने का प्रयास करना था. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इस महापंचायत को रकबर इंसाफ कमेटी ने आयोजित किया था. इस महापंचायत में 5 गांव के 40 लोगों के अलावा हरियाणा और दिल्ली से सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.

 

ऑल इंडिया मेवाती समाज के प्रेसिडेंट रमजान चौधरी ने बताया, हमारी प्रमुख मांग ये है कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में इस मामले की जांच हो. रकबर के परिवार को राजस्थान सरकार की ओर से 50 लाख रुपए का मुआवजा और रकबर की विधवा को सरकारी नौकरी मिले. इसके इतर हम चाहते हैं कि सरकार रकबर के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाए. हमारी यह भी मांग है कि सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए. कमेटी चाहती है कि विधायक ज्ञानदेव अहूजा और नवल किशोर शर्मा और वीएचपी के गोरक्षा सेल के लोकल नेता को भी गिरफ्तार किया जाए.

 

कमेटी चाहती है कि पूछताछ के नाम पर रकबर के परिवार वालों और रिश्तेदारों को परेशान नहीं किया जाए. सरकार इस क्षेत्र में शांति और सद्भावना स्थापित करने के लिए सद्भावना यात्रा निकाले. चौधरी ने कहा कि हम अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार को 6 अगस्त तक का समय देते हैं. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गई तो हम अलवर में बड़ी पंचायत करेंगे. इस महापंचाय में स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव भी मौजूद रहे.

 

उन्होंने कहा कि हम हमारे घरों में कोई बुजुर्ग मरता है तो हमें दुख होता है, लेकिन जिस तरह से रकबर की हत्या हुई वह शर्मनाक है. यह सिर्फ किसी समाज के लिए ही शर्मनाक नहीं है. यह हर भारतीय के लिए शर्म की बात है. दुख की बात ये है कि ऐसी घटनाएं रुक नहीं रही हैं. आखिर इस देश में हो क्या रहा है.

 

गौरतलब है कि अकबर उर्फ रकबर और उनके दोस्त असलम गत 20-21 जुलाई की रात को अलवर के रामगढ क्षेत्र से दो गायें लेकर जब लालवंडी गांव के जंगल से होकर गुजर रहे थे, उसी दौरान कुछ लोगों के समूह ने गौ तस्करी के संदेह में उनके साथ मारपीट की. असलम बचकर भाग निकला था. पुलिस ने मारपीट में घायल हुए अकबर को लगभग दो से ढाई घंटें की देरी से अस्पताल पहुंचाया जहां उसे 21 जुलाई की अल सुबह मृत लाया गया घोषित कर दिया गया. इस मामले में रामगढ थाने के सहायक उप निरीक्षक मोहन सिंह को निलंबित कर दिया गया और तीन पुलिसकर्मियों को पुलिस लाईन भेज दिया गया.