अलवर जिले के ललावंडी गांव में गौरक्षकों की पिटाई से मौत का मामले में पुलिस पर सवाल उठना शुरू हो गया है। इस मामले में पुलिस को सूचना देने और पुलिस के साथ गाड़ी में जाने वाला और 6 घंटे तक पुलिस के साथ रहे नवलकिशोर शर्मा ने कहा रात को एक बजे घायल को रामगढ़ थाने में लेकर आई थी। उन्होंने बताया कि पुलिस ने ढाई से तीन तक आरोपी को थाने में पिटाई की थी और 4 बजे बाद उसकी थाने में ही मौत हुई है।
पुलिस को सबसे पहले घटना की सूचना देने वाले शर्मा ने बताया कि पुलिस ने घायल रकबर के इलाज में ना केवल ढाई से तीन घंटे की देरी की बल्कि उसे रामगढ़ थाने ले जाकर उससे मारपीट भी की गई, वहीं उसकी मौत हुई।
गौरतलब है कि खुद पुलिस ने एफआईआर में शर्मा को घटना की सबसे पहले सूचना देने वाला और मौके पर साथ ले जाना बताया है। शर्मा के इस सनसनीखेज खुलासे से पूरे मामले में नया मोड़ आ गया है।
उन्होंने बताया कि जब रात को घायल रकबर को थाने पर लेकर आदर थे तब उसको गंभीर चोट नहीं थी । उसको चोट थी तो पुलिस ने अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं करवाया। पुलिस 4 बजे अस्पताल क्यो लेकर आई थी तब तक उसकी मौत हुई है।
नवल किशोर शर्मा ने बताया कि पुलिस को उन्होंने करीब 12.40 बजे सूचना दे दी थी। इसके करीब दस मिनट बाद ही वे खुद पुलिस थाने पहुंचे। जहां से पुलिस टीम उन्हें सरकारी वाहन में साथ लेकर घटनास्थल पर पहुंची।
यहां रकबर कीचड़ में सना पड़ा था। उसे कोई ऐसी गंभीर चोट नहीं थी, जिससे उसकी मौत हो जाती। इसलिए पुलिस मौके से उठाकर उसे सीधे रामगढ़ पुलिस थाने ले गई। यहां कीचड़ में सने रकबर को नहलाया गया और उसके कपड़े गीले हो जाने के कारण पुलिस ने ललावंडी निवासी धर्मेंद्र यादव को भेजकर कपड़े मंगाए, ये कपड़े उसे पहनाए।
इस दौरान थाने में उसके साथ मारपीट की गई। इसी मारपीट से अकबर की मौत हुई। शर्मा का कहना है कि करीब दो से ढाई घंटे पुलिस ने रकबर को थाने में रखा। उसकी मौत पुलिस कस्टडी में मारपीट से हुई है।
सूत्रों का कहना है कि अकबर की घटनास्थल पर हालात मरणांसन्न नहीं थी। ऐसा होता तो पुलिस उसे लेकर सीधे अस्पताल जाती या तो उसकी हालत ठीक थी या पुलिस ने इलाज में तीन घंटे की देरी की। दोनों में कोई एक ही वजह हो सकती है।
नवल किशोर शर्मा के दावे के अलावा घटनाक्रम की टाइमलाइन भी पुलिस को कठघरे में खड़ा कर रही है। दरअसल पुलिस ने एएसआई मोहनसिंह के हवाले से दर्ज एफआईआर में खुद कहा कि उसे रात करीब 12.40 बजे सूचना मिली।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पुलिस एक बजे भी घायल अकबर को लेकर चली तो महज 4 किमी दूर अस्पताल पहुंचने में 3 घंटे कैसे लग गए। अस्पताल में रकबर का इलाज करने वाले डॉक्टर के मुताबिक पुलिस उसे सुबह करीब 4 बजे अस्पताल लेकर पहुंची। यानी इलाज में करीब तीन घंटे की देरी हुई।
साभार- ‘न्यूज 24’