14 अप्रैल को संविधान निर्माता आंबेडकर की 125वीं जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई गई। तमाम राजनैतिक दलों में बाबा साहब की जयंती के अवसर पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने की होड़ मची हुई थी।
आश्चर्य की बात यह है कि बाबा साहब जिस हिंदुत्व और जातिवाद के खिलाफ ताउम्र लिखतें-लड़ते रहें उसी अमानवीय व्यवहार के पैरवीकार माने जाने वाले और बाबा साहब के विचारों से घोर असहमति रखने वाले तमाम राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन भी इस अवसर को मनाने के बहाने अपना उल्लू सीधा करते नज़र आए।
अब मनाने और मान्यताओं में फर्क करना बहुत ज़रूरी हो गया है। इस छल से पल में पर्दा उठाने के लिए हमारे पास बाबा साहब की ऐसी 22 प्रतिज्ञाएं मौजूद हैं जिसके ज़रिए असल और नक़ल को आसानी से पहचाना जा सकता है। क्योंकि मौजूदा समय में नए पनपे आंबेडकर प्रेमियों के लिए बाबा साहब के इन 22 विचारों से सहमत होना आसान काम नहीं।
1. मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
2. मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा ।
3. मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
4. मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ।
5. मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ।
6. मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा।
7. मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा।
8. मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा।
9. मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ।
10. मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा।
11. मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करूँगा।
12. मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा।
13. मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालुता रखूँगा तथा उनकी रक्षा करूँगा।
14. मैं चोरी नहीं करूँगा।
15. मैं झूठ नहीं बोलूँगा।
16. मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा।
17. मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा।
18. मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूँगा।
19. मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप
मैं बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ।
20.मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है।
21.मुझे विश्वास है कि मैं फिर से जन्म ले रहा हूँ।
22. मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा।