कभी स्कूएल न जाने वाली ईस लड़की को अमेरिका ने दिया एडमिशन और स्कॉलरश‍िप

नई द‍िल्‍ली : अकसर हम किसी के टैलेंट की परख उसके 10वीं-12वीं के नंबरों के आधार पर करते हैं. हमें लगता है कि जो स्‍टूडेंट बोर्ड एग्‍जाम में अव्‍वल आए बस वही एक होश‍ियार है. यहां हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बता रहे हैं जिसने यह साब‍ित कर दिया कि नंबर नहीं बल्‍कि मेरिट का वज़न ज्‍़यादा होता है.

जी हां, यह एक लड़की के आत्‍मविश्‍वास और एक ऐसी मां की कहानी है जिसने पढ़ाई-लिखाई के पुराने तौर-तरीकों को किनारे रखकर अपनी बेटी के लिए सुनहरे भविष्‍य का न सिर्फ सपना देखा बल्‍कि उसे पूरा भी किया.

यहां बात हो रही है 17 साल की लड़की मालविका जोशी की, जिसके पास 10वीं और 12वीं के सर्टिफिकेट तो नहीं हैं लेकिन बावजूद इसके वह अपने कंप्‍यूटर टैलेंट की बदौलत विश्‍व प्रसिद्ध मैसाचुसेट्स इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी (MIT)में एडमिशन पाने में सफल रही.  मुंबई की रहने वाली मालविका सातवीं क्‍लास के बाद कभी स्‍कूल ही नहीं गई और न ही वह किसी एग्‍जाम में बैठी. उसने दूसरे बच्‍चों की तरह स्‍कूल जाकर पढ़ने के बजाए घर पर ही रहकर पढ़ाई की. दरअसल, मालविका की मां ने उसे सातवीं के बाद स्‍कूल भेजना बंद कर दिया. वह चाहती थीं कि उनकी बेटी सिर्फ नॉलेज के लिए पढ़ने के बजाए खुश रहे. उनकी मां ने अपनी नौकरी छोड़ दी और घर पर ही बेटी को पढ़ाना शुरू कर दिया. उन्‍होंने घर पर क्‍लास रूम जैसा माहौल बनाने के साथ ही अपनी बेटी के लिए सिलेबस भी तैयार किया.