रूस के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव के पीछे ट्रंप की ग़लतियां !

शीत युद्ध के दौर सोवियत संघ महाशक्ति था लेकिन आज दुनिया की महाशक्ति के केंद्र बदल गए हैं. आज अमरीका अर्थव्यवस्था के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश है वहीं उसके बाद चीन दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. तीन साल पहले तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में रूस का स्थान 9वां था जो अब 12वें स्थान पर आ गया है. लेकिन व्लादिमीर पुतिन ने देश को फिर से एकजुट करना शुरू कर दिया है जो तमाम दिक्क़तों के बावजूद रूस को महान शक्ति के तौर पर देखते हैं.राजनीतिक विश्लेषकों की नज़र में घरेलू मोर्चे पर चुनौतियों से घिरे और आर्थिक तौर पर कमज़ोर दिखने के बावजूद रूस के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव के पीछे वर्तमान में अमरीकी प्रशासन की ग़लतियां ही हैं. ईरान से परमाणु समझौता ख़त्म करने के अमरीका के एकतरफ़ा फ़ैसले ने पश्चिमी देशों को नाराज़ किया.

वहीं चीन के साथ उसने ट्रेड वार छेड़ रखा है इसकी वजह से चीन और रूस के बीच भी रिश्ते गहरे हो रहे हैं. दोनों देशों के बीच सैन्य और आर्थिक साझेदारी बढ़ रही है. समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक़ रूस में साल 2017 में चीन का प्रत्यक्ष निवेश 72 फ़ीसदी बढ़ा है और आज चीन ही रूस से सबसे ज़्यादा तेल ख़रीदता है. रूस के साथ चीन की नजदीकियां बढ़ने की वजह से ही जी20 में शी जिनपिंग से मुलाक़ात के बाद ये ख़बरें आई कि ट्रेड वॉर की आशंकाओं को 90 दिनों के लिए दरकिनार कर दिया गया है.

उधर रूस हथियार बेचने वाले देशों में भी अमरीका के बाद दूसरे स्थान पर है. दुनिया भर के 20 फ़ीसदी हथियार रूस से निकलते हैं. शीत युद्ध के दौरान सारी पॉलिटिक्स ये थी कि रूस को किसी तरह मध्य पूर्व से हटाया जाए और भले ही आर्थिक मोर्चे पर रूस की दिक्कतें बढ़ी हैं लेकिन सीरिया की जंग से लेकर तेल को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले खेल तक पुतिन के कार्यकाल के दौरान रूस का दबदबा बढ़ने लगा है.

राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन के मसले को लेकर रूस से ख़फ़ा हैं. दरअसल रूस ने यूक्रेन के तीन जहाज़ों को चालक दल के सदस्यों समेत पकड़ लिया था. ट्रंप ने इस पर अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए मामले को जल्द से जल्द सुलझाने की उम्मीद की और जी20 सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति पुतिन से मिलने से मना भी कर दिया है.

हालांकि विश्लेषकों की राय में आज वर्ल्ड स्टेज पर कोई नेता अगर परिपक्व है तो उसमें पुतिन बिल्कुल शामिल हैं और वो अपने देश को दोबारा महाशक्ति के तौर पर देखना चाहते हैं. पुतिन की रणनीति और विदेश नीति को कामयाब बताया जाता है और कहा जा रहा है कि दुनिया में उनका दबदबा डंके की चोट पर बढ़ रहा है.

और अगर सऊदी अरब का झुकाव यदि अमरीका की जगह रूस की तरफ है तो यह भी अमरीका के लिए एक बड़ी नाकामी होगी. वहीं रूस के लिए अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी बड़ी जीत होगी.

स्रोत : बीबीसी हिंदी के कुछ अंश