कश्मीर घाटी बीते अगस्त महीने से मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। बुहरान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में लगातार संघर्ष चल रहा है। यहां अब सुरक्षा बलों की गोली बंदूकें और पत्थरबाजों के टकराव के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता।
लेकिन इस अशांति के बीच भी ऐसे कई लोग थे जिन्होंने अपने आसपास के संघर्षों को दरकिनार करते हुए सिर्फ अपने लक्ष्यों पर ध्यान दिया।
घाटी से इस बार संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में 14 छात्रों ने बाजी मारी है। यह पहली बार है जब जम्मू-कश्मीर से इतने सारे छात्रों में सफलता हासिल की है। उन्हीं में से एक हैं बिस्मा काजी। बिस्मा याद करते हुए कहती हैं, “मैंने अपने दिल और दिमाग को शांत रहने की कोशिश की। यह हमारे लिए समय की आवश्यकता थी।”
बता दें कि 25 वर्षीय बिस्मा काजी पेशे से इंजिनीयर हैं। इसके अलावा दक्षिण कश्मीर के बिजहेहारा के रहने वाले एक कांस्टेबल के बेटे ने भी इस बार यूपीएससी में सफलता हासिल की है। सुहाईल कासिम मीर ने अपने पहले प्रयास में ही परीक्षा पास किया है। दूसरी तरफ बिलाल मोहिउद्दीन भट्ट ने भी अपने चौथे प्रयास में इस बार 10वां रैंक हाशिल किया है।
उत्तर कश्मीर के लंगेट इलाके के रहने वाले बिलाल मोहिद्दीन फिलहाल लखनऊ में तैनात हैं। बिलाल 2012 में कश्मीर प्रशासनिक सेवा के लिए भी चुने गए थे और उसके बाद 2014 में भारतीय वन सेवा में उन्हें कामयाबी मिली।
अपनी कामयाबी पर बिलाल ने बताया, “ये तो तय था कि मैं परीक्षा में सफल होंऊंगा। लेकिन 10वां रैक आने की उम्मीद नहीं थी। ये मेरा चौथा प्रयास था। मुझे उम्मीद है कि एक सीट जम्मू-कश्मीर के लिए अधिसूचित होने की वजह से मुझे अपने लोगों का सेवा करने का मौका मिलेगा।”
वहीं श्रीनगर के रहने वाले फखरुद्दीन को भी यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी मिली है। फखरुद्दीन ने कहा कि ये तो जैसे सपनों को जमीन पर उतरने जैसा है। पेशे से डेंटिस्ट रहे फखरुद्दीन ने बताया कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के ये कामयाबी हासिल की है। श्रीनगर के रामवन की रहने वासी बिस्मा काजी को भी कामयाबी हासिल हुई है।
गौरतलब है कि साल 2009 की यूपीएसी की परीक्षा में कश्मीर के शाह फैसल ने टॉप किया था। कश्मीर घाटी से टॉप करने वाले वो पहले युवा थे और आज भी घाटी कई युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। बिस्मा ने कहती हैं कि फेशल ने घाटी के कई युवाओं के आशा की एक खिड़की खोली। हमने भी उन्हीं से प्रेरणा ली।