अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी मुतनाज़े पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए जुमे के रोज़ यह हुक्म दिया है कि लाइब्रेरी में लडकियों की एंट्री पर लगी रोक फौरन खत्म की जाए। इसी के साथ कोर्ट ने इस मामले में वीसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि जेंडर कि बुनियाद पर लडकियों के लाइब्रेरी में दाखिले पर रोक लगाया जाना नाजायज़ है। इस मामले पर अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी और कोर्ट ने दो हफ्ते के अंदर मामले में युनिवर्सिटी के इंतेज़ामिया से जवाब मांगा है।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की लॉ इंटर्न ने एक दरखास्त दाखिल कर एएमयू के वीसी के उस हुक्मनामे को चुनौती दी थी, जिसमें लडकियों के लाइब्रेरी मे आने पर रोक लगाई गई थी। दरखास्त में एएमयू की लाइब्रेरी में लडकियों के लिए आम स्टूडेंट्स की तरह एंट्री की बात करते हुए स्पेशल सेल बनाने की भी वकालत की गई ताकि तालिबात ( गर्ल्स स्टूडेंट्स) को लाइब्रेरी में स्टडी करने में किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पडे। इससे पहले के वाकियात में अलीगढ मुस्लिम युनिवर्सिटी (एएमयू) कैम्पस के अहम लाइब्रेरी में ग्रेजुएशन की तालिबात को इज़ाज़त नहीं देने को लेकर एएमयू के चांसलर जमीरूद्दीन शाह ने कहा था कि लाइब्रेरी में अगर लडकियों के दाखिले की इजाजत दी जाती है तो वहां उनकी तादाद के मुकाबले चार गुने लडके आएंगे।
उनके इस बयान पर काफी तनाज़ा हुआ था जिसकी उन्होंने बाद में सफाई भी दी थी। उन्होंने Gender differentiation के इल्ज़ामात से इनकार किया था और इन्हें न सिर्फ गुमराहकुन बल्कि शरारत वाला और नुकसानदेह करार दिया था। मामले को नोटिस में लेते हुए स्मृति ईरानी ((Human Resource Development Minister) ) ने उपकुलपति से रिपोर्ट तलब की है।