AMU: 3 स्वर्ण पदक हासिल करके कश्मीरी छात्रा ‘इंशा जुहूर’ ने क़ायम की मिसाल

अलीगढ़: मंजिल की तलाश में क्यों फिर रहा है राही। इतना महान बन जा कि मंजिल तुझे पुकारे। हाँ ये शेर शेख मुहल्ला बोनगाम, शोपियान कश्मीर की रहने वाली इंशा ज़ुहूर पर सौ प्रतिशत लागू होता है। इंशा जुहूर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चरल विज्ञान में डॉक्टरेट कर रही हैं। हाल ही में आयोजित एएमयू के दीक्षांत समारोह में उन्होंने तीन स्वर्ण पदक हासिल किए। तीन स्वर्ण पदक एक साथ पाने वाली इंशा जुहूर कश्मीर की पहली छात्रा हैं। इंशा की यह सफलता उनकी लगन, माता पिता का स्नेह और शिक्षकों की मेहनत का फल है।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के निवास हॉल बेगम सुल्तान जहां में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहे इंशा जुहूर की प्रारंभिक शिक्षा अपने राज्य कश्मीर के शोपियां के मकतबा जामिया से हुई है।इसके बाद बीटेक की शिक्षा इस्लामिक विश्वविद्यालय विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लेकर एमटेक में इंशा जुहूर ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। देखते ही देखते वह शिक्षकों की नजरों में चढ़ने लगी और जहां पीएचडी करने के लिए छात्रों को उनके लिए एक पर्यवेक्षक की खोज करते हैं वहीं विभाग के एक शिक्षक ने उन्हें खुद आगे बढ़कर अपना रिसर्च स्कालर बना लिया है।
इस वर्ष एमटेक पूरा होने के बाद उन्हें तुरंत रिसर्च में प्रवेश मिला और दीक्षांत समारोह में 3 स्वर्ण पदक मिले जिसके गवाह उनके माता पिता भी बने।
इंशा जुहूर को उनकी सफलता के लिए मिले पदक वह अपने शिक्षकों और माता पिता के साथ जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नाम भी मंसूब करना चाहती हैं। वहीं कश्मीर युवा वर्ग से अपील करती हैं कि शिक्षा को ही अपनाजीवन बना लें, सफलता स्वतः उनके पास होगी।
इंशा जुहूर के जानने वाले सभी उनकी लगन और कड़ी मेहनत के कायल हैं। बेगम सुल्तान जहां हॉल में उनके साथ रह रहीं छात्राओं ने बताया कि उनकी दोस्ती सिर्फ किताबों से है और वह खेल भी ऐसे ही खेलती हैं जिससे साहित्यिक वातावरण मिले .बहुत सारी लड़कियां उन्हें अपना रोल मॉडल मानती हैं और कहती हैं कि वह इन जीवन से बहुत कुछ सीखती हैं।
वह कहती हैं कि आज जहां लड़के और लड़कियों में फर्क है वहाँ एक लड़की की यह उपलब्धि वास्तव में छात्राओं को आगे बढ़ने का हौसला देगी।
मेहनत ही सफलता की कुंजी है यह साबित किया है शिक्षा के लिए कश्मीर से अलीगढ़ तक पहुंची इंशा उ जुहूर ने जो अपने सभी सपनों को पूरा करने के साथ ही अकादमिक क्षेत्र में अपना भविष्य संवार ना चाहती हैं और कश्मीर की लड़कियों से भी यही आशा करती हैं कि वह भी मेहनत और लगन से अपने लिए सफलता के रास्ते खोलें।क्योंकि किसी ने क्या खूब कहा है कि एक लड़की के शिक्षित होने से तो एक परिवार शिक्षित हो जाता है।