नई दिल्ली: आल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल कासमी ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अल्पसंख्यक भूमिका के खिलाफ केंद्र सरकार के जरिये दिल्ली हाईकोर्ट में दर्ज किये शपथपत्र के ख़ारिज किए जाने पर प्रतिकिर्या ज़ाहिर की।
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उन्होंने कहा कि हालाँकि फ़िलहाल यह शपथपत्र कानूनी उसूल की बुनियाद पर रद्द हुआ है क्योंकि सरकार ने जामिया या उससे संबंधित किसी भी पक्ष को इस संबंध में नोटिस नहीं भेजा था, मगर सरकार की नियत से साफ़ ज़ाहिर होता है कि वह सभी पक्षों को नोटिस भेजकर अगली तारीख पर वही शपथपत्र कोर्ट में दर्ज कर दे।
मौलाना ने कहा कि केंद्र सरकार ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक भूमिका के खिलाफ अदालतों में शपथपत्र दाखिल करके इस बात को साफ़ कर दिया है कि वह मुसलमानों की शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए न सिर्फ गंभीर नहीं है बल्कि वह मुस्लिम पहचान के साथ किसी भी शैक्षिक संसथान को स्वीकार करने कोतैयार नहीं है, चाहें उसको कायम करने में मुसलमानों ने पानी जान व माला क्यों न लगाई हो।
मौलाना ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ का दावा करने वाली सरकार ने मुसलमानों की शैक्षिक बदहाली को दूर करने के बजाय उनके पूर्वजों के जरिये कायम किये यूनिवर्सिटियों को भी उनसे छीनना चाहती है।