अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में यूजीसी की इजाजत के बिना टेंपरेरी-कैजुअल स्टॉफ को 21 करोड़ 33 लाख की राशि का भुगतान किया गया है। जबकि यूजीसी के बजट अप्रूवल में स्पष्ट किया गया है कि ये राशि सिर्फ रेगुलर स्टाफ के लिए सुरक्षित है।
प्रिंसिपल डायरेक्टर ऑफ़ ऑडिट लखनऊ द्वारा 2015-16 में कराये गए एक ऑडिट के जरिये ये मामला सामने आया है।
यूनिवर्सिटी रिकार्ड्स की जांच में पाया गया कि साल 2015-16 में कुल 1365 टेंपरेरी एंड कैजुुअल स्टॉफ कार्यरत थे, जिन्हें कुल 21 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान किया गया। जिसे यूजीसी के नॉन प्लान बजट से किया गया है।
एएमयू रजिस्ट्रार प्रो. जावेद अख्तर का कहना है कि इस बारे में वह उन्हें कोई जानकारी नहीं दे सकते। वित्त अधिकारी ही इस बारे में कुछ जानकारी दे सकते है।
एचआरडी मंत्रालय द्वारा एएमयू के शैक्षणिक, रिसर्च, फिनांशियल और इंफ्रास्ट्रक्चर का ऑडिट कराया जा रहा है। ऐसे में प्रिंसिपल डायरेक्टर ऑफ़ ऑडिट का ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद कैंपस में खलबली का माहौल है।