कोलकाता के मुसलमानों ने टीपू सुल्तान मस्जिद इमाम बरकती की हरकतों के विरोध में दुकानें बंद की

बुधवार को कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के आसपास की सौ से ज़्यादा दुकानें 24 घंटे तक बंद रही हैं। यहां दुकानदार मस्जिद के इमाम नूरुर रहमना बरकती के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे जो आए दिन राजनीतिक बयानबाज़ी और फतवे जारी किया करते हैं।

इमाम बरकती आए दिन भड़काऊ बयानबाज़ी और फिज़ूल के फतवे मीडिया के सामने आकर जारी करते हैं। मगर लोगों ने उनकी ऐसी हरकतों पर ऐतराज़ जताना शुरू कर दिया है।

मस्जिद के मुतवल्ली (केयरटेकर) कहते हैं कि यह इमाम बरकती की आदत में शुमार हो गया है कि वह आए दिन मीडिया को मस्जिद में बुलाते हैं और एक इमाम की हैसियत से बयानबाज़ी करते हैं। मगर यह नाक़ाबिले बर्दाश्त है। वह इमाम हैं और उन्हें समझना चाहिए कि उनका काम सिर्फ नमाज़ पढ़ाना है। वह ख़ुद को मुसलमानों के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं कर सकते।

इमाम नूर रहमान बरकती के बेटे खालिद बरकती पर आरोप है कि उन्होंने स्थानीय दुकान मालिकों के साथ गाली-गलौज की है। दुकानदारों का कहना है कि इमाम बरकती की हरकतों की वजह से टीपू सुल्तान मस्जिद की साख को बट्टा लग रहा है।

टीपू सुलतान मस्जिद की शॉपकीपर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य ने कहा कि उनकी कोई भी प्रतिक्रिया हमारी नहीं है। कई बार उनको यह सन्देश दिया है कि वह मस्जिद में कोई ऐसी बात नहीं करें जो राजनीति से प्रेरित हो। जब इमाम बरकती से दुकानदारों के बंद को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि जिन्होंने दुकानें बंद रखी हैं वह सब पिकनिक पर गए हैं।

मस्जिद खिड़दीपुर के इमाम अली अशरफ ने कहा कि उनकी राय है कि धर्म और राजनीति का घालमेल नहीं करना चाहिए। इमाम का अपना काम होता है और उसको तरह राजनीति नहीं करनी चाहिए। हमें सतर्क रहना चाहिए क्योंकि इससे अन्य समुदायों गलत संदेश जा रहा है। हमें हमेशा देश में शांति बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए।

हैदराबाद के एनएएलएसएआर लॉ कॉलेज के कुलपति फैज़ान मुस्तफा कहते हैं कि इमामों को राजनीति से दूर रहना चाहिए।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद कहते हैं कि इमाम धार्मिक नेता होता है, वह गैर धार्मिक टिप्पणी करने के लिए अधिकृत नहीं है। आज ऐसे लोग अपने स्वार्थ के लिए बयानबाजी कर रहे हैं जो सही नहीं है।