देशभक्ति के चोले में देशद्रोही सक्रिय

यह सब लोग जानते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश है और सैकड़ों सालों से यहां भाईचारा और मेल मोहब्बत से लोग रहते आ रहे हैं। पिछले कुछ सालों से भारत के अंदर ऐसा माहौल पैदा किया जा रहा है कि जिससे भारत कि गंगा जमुनी तहज़ीब और भाईचारा सहित देश कि लोकतंत्र, अखंडता और एकता को खतरा पहुंचने लगा है।

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कुछ राजनितिक पार्टियों और स्वंयसेवी संगठनों ने खुद को भारत का सबसे बड़ा देशभक्त बता कर इसकी आड़ में एसी हरकतें कर रहे हैं जो देश के विद्रोही ही कर सकते हैं।

भारत में यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि कुछ ही तबका और पार्टी ही देश में सबसे बड़ा देशभक्त है। लेकिन सच्चाई तो यह है कि यह देशभक्त लोग देश के अंदर तबाही मचाने का काम कर रहे हैं। कभी मंदिर, मस्जिद के नाम पर लोगों को लड़ाया जा रहा है तो कभी गौरक्षा के नाम पर किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाकर मारपीट और हत्या की जा रही है। यही वह लोग हैं जो अपने आप को सबसे बड़ा देशभक्त बताते हैं। यह भी कहते हैं कि उनके अलावा बाकी जितने लोग हैं वह सब देश के गद्दार हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों दिल्ली में एचटी मीडिया के अधीन लीडरशिप चोटी सम्मेलन से ख़िताब करते हुए कहा था कि 2014 में महज़ सरकार की बदलाव के लिए वोट नहीं डाले गये थे बल्कि लोग उस भविष्य के बदलाव ख्वाहिश रखते थे जिसके तहत हम काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने यहां उस बात की ओर भी इशारा दे दिया कि लोगों ने उन्हें देश में हर तरह की बदलाव लाने के लिए वोट दिया है, यही वजह है कि जब भारतीय जनता पार्टी 2014 में सत्ता में आई तो उसने देश कि गंगा जमुनी तहजीब का ढांचा, भारत के संविधान और भाईचारा और सहिष्णुता को बदलने कि कोशिश शुरू कर दी। उस समय संविधान पर बदलाव करने की बात उठी, इतना ही नहीं बल्कि भारत में कॉमन सिविल कोड लागु करने, कश्मीर से संबंधित विशेष अधिकार वाली दफा 370 को खत्म करने की बात होने लग।

इतना ही नहीं बल्कि सरकार ने मुसलमानों के विशेष कानून में भी दखलंदाजी शुरू कर दी। यहां तक कि तीन तलाक के मामले को इस तरह से उछाला गया कि कि ऐसा महसूस हो रहा है कि मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक की वजह से बहुत ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही हैं, हालाँकि यह बहुत बड़ी बात नहीं थी।

अब देश की जनता यह सवाल कर रही है कि आखिर द्श्भक्ति क्या होती है और उसका चोला पहन कर वैसे लोग क्यों सकिर्य हैं जिन्होंने देश कि आज़ादी में अपना कोई किरदार नहीं निभाया बल्कि अंग्रेजों का समर्थन किया। आज जरूरत है कि देश के गद्दारों की चुन चुनकर निशानदेही कि जाये और उनके चेहरों से देशभक्ति का नक़ाब हटाया जाये ताकि लोगों को इस बात का अंदाज़ा हो जाए कि देश में कौन देशभक्त है और कौन देशद्रोही।