अरब देशों में किसी भी तरह का लोकतंत्र इजराइल के लिए बड़ा खतरा साबित होगा: पूर्व इजरायली सांसद

तिल अवीव: मध्य पूर्व में अमेरिका को डिक्टेटरज और निरंकुश शासक ही रास आते हैं, क्योंकि अरब देश में जनता के उमंगों के मुताबिक क़ायम होने वाली सरकारें अमेरिका के लिए दर्दे सर साबित हो सकती हैं।

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लेकिन यह जनतांत्रिक सरकारें केवल अमेरिका नहीं बल्कि यहूदी राज्यों के लिए बड़ा समस्या साबित हो सकता है। इसको इसाई राज्य के एक पूर्व सांसद ने माना है। पूर्व सांसद यूसी बिलियन ने अरब देशों में किसी तरह के लोकतंत्र को इजराइल के लिए बड़ा खतरा क़रार देते हुए कहा है कि इस से उन देशों में इजराइल विरोधी सोच को मजबूती हासिल होगी। यूसी बिलियन ने एक पत्रिका से बातचीत में कहा कि हम अरब के निरंकुश शासकों को पसंद करते हैं। इस इजरायली नेता ने आगे कहा कि अरब के ज्यादतर नेता स्थानीय मामलों में ईरान की दखलंदाजी के बारे में परेशान हैं और उनका तवज्जह फिलिस्तीन समस्या कि ओर हरगिज़ नहीं है।

गौरतलब है कि अरब के देश फिलिस्तीन समस्या के सिलसिले में ज़ुबानी जमा खर्च से आगे नहीं बढ़ते, वह फिलिस्तीन का समर्थन करते हैं लेकिन यहूदी राज्यों के खिलाफ किसी भी तरह का कदम नहीं उठाते।

यूसी बिलियन ने कहा कि इजराइल-फिलिस्तीन विवाद पड़ोसी अरब देशों के साथ हमारे लिए कोई बड़ी समस्या नहीं है और विवाद के हल होने बावजूद पड़ोसी देशों के साथ हमारी हालत जूं की तूं रहेगी। याद रहे कि फिलिस्तीन ऑथोरिटी कई दशकों से दो राज्यिक हल की बुनियाद पर इजराइल से इस मुद्दे की निपटान चाहती है। जबकि यहूदी राज्य को लगता है कि जब अरब के देश इस विवाद के मौजूद होने बाद भी उनसे ख़ुफ़िया तौर पर मज़बूत संबंध बनाये हुए हैं, ऐसे में फिलिस्तीन की जनता को एक अलग राज्य देने की कोई ज़रूरत नहीं है।