सुप्रीम कोर्ट ने साबरमती ब्लास्ट मामले में आरोपी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व शोध छात्र गुलजार अहमद वानी को जमानत दे दी। वानी इस मामले में 2001 से जेल में बंद है।
मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वानी 16 सालों से जेल में बंद है। उन्हें 11 मामलों में से 9 में बरी कर दिया गया है।
पीठ ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष के 96 गवाहों में से अभी तक केवल 20 की ही गवाही दर्ज हो पाई है। पीठ ने ट्रायल कोर्ट 31 अक्टूबर तक सभी सुबूतों की जांच करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि वानी के सह-आरोपियों को 2001 में जमानत दी जा चुकी है। वानी को दिल्ली पुलिस ने 30 जुलाई 2001 में विस्फोटकों और अन्य आपत्तिजनक सामग्री के साथ गिरफ्तार किया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 26 अगस्त 2015 को वानी की जमानत याचिका यह कहकर खारिज कर दी थी कि उन्हें रिहा करने से समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जिसके बाद वानी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
श्रीनगर के पीपार्करी के वानी फिलहाल लखनऊ जेल में बंद है।
रिटायर सरकारी कर्मचारी गुलाम मोहम्मद के बेटे वानी ने जम्मू-कश्मीर के बारामुला में स्कूली पढाई की थी।
बाद इसके उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन की। गिरफ्तारी के दौरान वानी अरबी भाषा में पीएचडी कर रहे थें।
बता दें कि 2000 में मुजफ्फरपुर से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस में कानपुर के पास ब्लास्ट हुआ था। इस धमाके में 10 लोगों की जान गई थी।