ब्लॉग: अरब देशों में नेतृत्व की कमी ने सियासत का बुरा हाल किया!

इक़बाल रज़ा, कोलकाता। अरब दुनिया के लिए बेहतर भविष्य का सपना देखने के लिए, यह जानना जरुरी है कि वे कहां खड़े हैं!? अरब देश अब भी अपने इतिहास से नहीं निकल पाए हैं! फिलिस्तीन में रोज़ खून में बहता है, मिस्र और यमन गरीबी के शिकार हैं, इराक तथा सीरिया आतंकवाद से जूझ रहा है और यही स्तिथि करीब-करीब आसपास के सभी मुल्कों का है!

संक्षिप्त में, अरब दुनिया अलग-थलग, भूखे, असंतुष्ट, विभाजित और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाहरी शक्तियों के कब्जे में है। इन्हीं कारणों की वजह से वे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रभावित करने में असंतुष्ट और असमर्थ हैं।

यह वास्तव में निराशाजनक है, क्योंकि अपने रणनीतिक और आर्थिक फायदे के बावजूद, यह अरब दुनिया जो हिंद महासागर, लाल सागर, खाड़ी, भूमध्य सागर, स्वेज नहर और अटलांटिक महासागर की सीमा बनाती है, यह अरब दुनिया जो प्राकृतिक और मानव संसाधनों में बहुत समृद्ध है, यह अरब दुनिया जो दो महाद्वीपों, एशिया और अफ्रीका में फैली हुई है, और जो यूरोप की सीमाओं को पार करती है, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही दृश्यों पर इतनी हाशिए पर है!

अरब राजनीतिक नेतृत्व ने इस बात को समझने में विफल रही है, वह यह है कि अरब अधिकारों और आम भलाई का सबसे अच्छा आश्वासन अरब एकता, राजनीतिक समन्वय और सामूहिक कार्रवाई में है।

ऐसे समय में जब फिलिस्तीनियों के साथ पूर्ण शांति लगभग ख़त्म हो चुकी है। फिलिस्तीनियों को पुराने यरुशलम से निकाला जा रहा है, पूर्वी यरूशलम और गोलन हाइट्स पर अभी भी अवैध कब्जा है और यरूशलम का भविष्य अनसुलझा है।

यह आधुनिक अरब इतिहास का संक्षिप्त विवरण है, जो वास्तव में एक धूमिल है। अरब दुनिया का इतिहास बताता है कि विदेशी आधिपत्य, अतीत और वर्तमान, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, अरबों द्वारा दिए गए मौकों के कारण अरब दुनिया में प्रवेश किया। मुझे लगता है कि इन दोषों के लिए राजनीतिक नेतृत्व जिम्मेदार हैं, न कि सेना या पब्लिक, क्योंकि नेतृत्व की विफलता राजनीतिक नेतृत्व को जाता है!

इसलिए, “OIC” जैसे संगठन का होना जरुरी है। लेकिन इसे अनेक मोर्चे पर और सक्षम होना होगा! इसे आर्थिक नीति और विदेश नीति के साथ अरब देशों में सहयोग और समन्वय विकसित करना होगा।

तेल संपन्न अरब देश EUROPEAN UNION की तरह अपने संसाधन का उपयोग कर अपने जीवन अस्तर को और भी समृद्ध कर सकते हैं!

जर्मनी और इटली एकजुट हो सकते हैं तो अरब दुनिया क्यों नहीं? यूरोपीय देश अपने अतीत को भूला सकते हैं और राजनीतिक और आर्थिक एकता बना सकते हैं तो अरब देश क्यों नहीं कर सकते?

मुझे लगता है अरबों के पास दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी है। मुझे विश्वास है कि अब अरब देश उस नेतृत्व का निर्माण पाएंगे जो वास्तविकता में एकता और आर्थिक समृद्धि के लिए अरबों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।

अरब दुनिया में शांति, अरबों के एकता में ही निहित है। समय आ गया है अरब नेतृत्व के एकजुट होने का अन्यथा उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है!

आशा करें और प्रार्थना करें कि इक्कीसवीं सदी अरब दुनिया के लिए सफलता, एकता और शांति लेकर आये जिसमे अरबों का उत्थान हो। इसी से अरब देशों का भविष्य उज्जवल हो सकता है!

लेखक: इक़बाल रज़ा( अरब देशों के जानकार)