‘गुजरात आइए, मुफ्त की ज़मीन लीजिए, टैक्स मत दीजिए, मजदूरों को सताइए, मोदी का गुणगान कीजिए’

गुजरात में दुग्ध क्रन्ति 1973 में वी जे कुरियन की अगुवाई में शुरू हुई। तब तक भाजपा का जन्म भी नहीं हुआ था।

गुजराती व्यापारी कई सौ सालों से देश विदेश में व्यापार करते हैं। मैंने गुजरात के आदिवासी इलाकों में सन 1980 से जाना शुरू कर दिया था।मैंने गुजरात के आदिवासियों के बीच 1989 से 1991 के बीच सघन काम किया है। गुजराती किसान उस समय भी देश के अन्य किसानों के मुकाबले उन्नत ही थे।

तब गुजरात के गांधीवादी कार्यकर्ता झीना भाई दर्जी के साथ मुझे काम करने का मौका मिला था। झीना भाई, नारायण देसाई, चुन्नी भाई वैद्य और हजारों गांधीवादी और सर्वोदय कार्यकर्ता गाँव गाँव में सहकारिता शराबबंदी और खादी व ग्रामोद्योग का काम करते रहे हैं। तब मोदी नाम के किसी व्यक्ति को कोई नहीं जानता था .

मोदी का नाम गुजरात में मुसलमानों के बड़े जनसंहार के बाद मशहूर हुआ। अपने ऊपर लगे खून के दाग धोने के लिये मोदी ने पहले से ही विकसित गुजराती किसानों और गुजराती विकास को अपनी कारगुजारी बताना शुरू कर दिया। यह एक चालाक हरकत है। मैंने गुजरात में साइकिल से दौरा किया था।

गुजरात में वन अधिकार क़ानून के बाद आदिवासियों को उन ज़मीनों के पट्टे मिलने चाहिये थे जिन पर वह पहले से खेती कर रहे थे। लेकिन मोदी सरकार ने बड़े पैमाने पर आदिवासियों के आवेदनों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया।

इतना ही नहीं उल्टा मोदी ने गुंडा गर्दी कर के आदिवासी किसानों की ज़मीनों को छीनना भी शुरू कर दिया।  किसानो की पिटाई करवानी शुरू कर दी गई।

मैंने अपनी साईकिल यात्रा के दौरान इन किसानो से मिलकर उनकी आपबीती प्रकाशित भी करी थी। अपनी यात्रा में मेरी मुलाकात सभी तरह के लोगों से हुई कई अधिकारियों ने अपना नाम ना बताने की बात कह कर बताया कि मोदी ने दो लाख एकड़ ज़मीने बड़े कारखानेदारों को दे दी हैं ।

ई टीवी को एक लाख दो हजार एकड़ जमीन दी है। सानंद विश्वविद्यालय को बंद कर के विश्वविद्यलय की ज़मीन टाटा को नैनो कार बनाने के लिये दे दी गई है। बडौदा अहमदाबाद हाई वे के दोनों तरफ छह किलोमीटर की ज़मीने मोदी ने उद्योगों के लिये रिजर्व कर दी हैं।

गुजरात आज कल उद्योगपतियों का स्वर्ग बना हुआ है।

उन्हें सारे टैक्सों में छूट है . वे जैसा चाहे प्रदूषण फैला सकते हैं।   जितना चाहे नदियों को गन्दा कर सकते हैं। जितना चाहे हवा में प्रदूषण फैला सकते हैं।

उनके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले कार्यकर्ताओं के घर पर पुलिस पहुँच जाती है।  मेरी मुलाकात ऐसे कई कार्यकर्ताओं से हुई।

गुजरात में मज़दूर अपनी बुरी हालत के खिलाफ आवाज़ नहीं उठा सकते।

तो अगर आप पैसे वाले हैं तो गुजरात में आइये। मुफ्त की ज़मीन लीजिए। टैक्स मत दीजिए। प्रदुषण फैलाइए। मजदूरों को सताइए। मोदी का गुणगान कर दीजिए और उन्हें खुश कर दीजिए।

अब ये मोदी माडल भाजपा देश में बेचने निकली है। अगर इस देश के युवा को यही माडल चाहिये जिसमे सारी ज़मीने उद्योगपतियों की हो जाएँ। जहां सरकार को कल्याणकारी कार्यक्रम के लिये कोई टैक्स भी ना मिले। जहां ये उद्योगपति हमारी हवा और पानी को गन्दा कर दें।

करोड़ों किसान बेज़मीन होकर शहरों के बाहर गंदी बस्तियों में कीड़े मकोडों की तरह रहने और बेरोजगारी, भूख और बीमारी से मरने को मजबूर हो जायें।

कुछ लोगों के मज़े के लिये पूरे देश को मरने के लिये मजबूर कर देने वाला यह विकास। यह घोर असमानता पैदा करने वाली अर्थव्यवस्था। इस विनाश को अंजाम देने वाली राजनीति अगर हमे स्वीकार है तो फिर हमें कोई नहीं बचा सकता।

लेकिन इस सब को स्वीकार करने के साथ ही भगत सिंह, गांधी, मार्क्स, वेद कुरान बाइबिल ग्रन्थ साहब सब को जला देना।

क्योंकि इन सब ने तो हमें सबकी समानता ,प्रकृति के साथ साहचर्य और मिल कर रहना सिखाया था।

मोदी का माडल हर धर्म और हर अक्लमंदी के विरुद्ध है।

(नोट- ये लेख हिमांशु कुमार की फेसबुक वॉल से लिए गया है, सियासत हिंदी ने इसे अपनी सोशल वाणी में जगह दी है)