सैफ़ुल्लाह कांड ने ओवैसी को भी राष्ट्रवादी नेता बना दिया

बेशक़ अगर कोई हमारी ज़मीन पर रहकर आतंक या उन्माद फैलाएगा तो हम उसे कभी क़ुबूल नहीं करेंगे। सैफ़ुल्लाह के पिता का बयान एक बार सुनने में यही लगता है कि वह अपने मुल्क़ से इतना प्यार करते हैं कि उन्होंने मरने के बावजूद अपनी औलाद को दफ़्नाने से मना कर दिया।

मगर यह तस्वीर का एक पहलू है जिसे पूरा राष्ट्रवादी मीडिया और इसी विचारधारा के नेता दोहरा रहे हैं। इस भेड़चाल में मुसलमानों की रहनुमाई का दावा करने वाले असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने ट्वीट करके ऐसे पिता पर गर्व किया है। मगर ओवैसी समेत कोई भी मीडिया या राजनेता उस बूढ़े पिता के भीतर बैठा डर नहीं बता रहे।

सच्चाई यह है कि जिस तेज़ी से हमारे समाज़ में ज़हर भरता जा रहा है, इन हालात में उस पिता के लिए अपने मरे हुए बेटे की लाश ना लेना एक सूझबूझ भरा फैसला है। कहीं अगर ग़लती से वो ऐसा कर देते तो भीड़ उन्हें नोच खा जाती।

बेटा तो चला गया जिसकी हक़ीक़त आना अभी बाक़ी है, मगर उस बूढ़े बाप, पूरे परिवार और ख़ानदान को राष्ट्रवादी भीड़ फिर जीने नहीं देती। उन्हें हर दिन मरना पड़ता। क्या ओवैसी इस पहलू पर भी बात करेंगे?