असम की एनडीए सरकार में शामिल असोम गण परिषद ने धमकी दी है कि अगर केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद में पारित कराया तो वह असम सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेंगे। असम की सर्वानंद सोनोवाल सरकार में मंत्री अतुल बोरा ने यह चेतावनी दी। बता दें कि इस संशोधन बिल नॉर्थ-ईस्ट के कई राज्यों में विरोध हो रहा है।
असम सरकार में मंत्री अतुल बोरा ने कहा, ‘वर्तमान समय में हम बीजेपी के नेतृत्व वाली असम सरकार का हिस्सा हैं। अगर केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल 2016 को संसद में पारित किया तो हम राज्य सरकार के साथ गठबंधन तोड़ लेंगे।’
बता दें कि नागरिकता लेने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन करने की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अपनों के ही विरोध की वजह से विवादों में फंस गई है।
दरअसल, प्रस्तावित कानून को लेकर नॉर्थ-ईस्ट के तमाम राज्यों में विरोध हो रहा है। इस बिल के खिलाफ बन रहे माहौल को देखते हुए राज्य सरकारें भी विरोध में आ गई हैं, जबकि ज्यादातर राज्यों में एनडीए की ही सरकार है।
नागरिकता कानून में संशोधन बिल के अनुसार, बांग्लादेश, पाकिस्तान के अल्पसंख्यक नागरिकों को भी आसानी से नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।
विपक्ष और नॉर्थ-ईस्ट में आंदोलन कर रहे दलों का तर्क है कि इससे गलत परंपरा शुरू होगी। असम में इस बिल को लेकर हो रहे आंदोलन की अगुआई वहां की बीजेपी सरकार में सहयोगी असम गण परिषद कर रही है।
वहीं, मेघालय की एनडीए सरकार ने भी इस बिल का आधिकारिक तौर पर विरोध किया है। सूत्रों के अनुसार, मेघालय के सीएम ने इस बारे में केंद्र सरकार को चिट्ठी भी लिखी है।
वहीं, असम में हो रहे भारी विरोध के बीच सीएम सर्वानंद सोनोवाल भी बैकफुट पर हैं। असम गण परिषद ने तो इस बिल के विरोध में सरकार तक से हटने की धमकी दे दी है।
सूत्रों के अनुसार, विरोध को देखते बांग्लादेश से सटी सीमा पर अतिरिक्त सतर्कता भी बरती जा रही है। उन्हीं इलाकों में इस बिल को लेकर विरोध भी है।
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में इस बिल को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद संसद में पेश किया गया था। संसद ने बाद में इसे विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को सुपुर्द कर दिया। जेपीसी की टीम पिछले हफ्ते इस बिल पर तमाम पक्षों की राय जानने नॉर्थ-ईस्ट के दौरे पर गई। इसके बाद यह मामला भड़क गया।
साभार- ‘नवभारत टाइम्स’