नई दिल्ली: असम में पिछले तीन सालों से सुप्रीम कोर्ट के निगरानी के अधीन नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन (एनआरसी) की नये सिरे से तयारी का काम जारी है, मगर चिंता की बात यह है कि प्रशासन नये नये निर्देश के जरिये इस मामले को बेहद पेचीदा बनाती जा रही है।
Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये
इसको लेकर जमियत उलेमा ए हिन्द ने सुप्रीम कोर्ट में मुक़दमा दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट की निर्देश के मुताबिक जिन लोगों के पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए तयशुदा दस्तावेज़ हैं ऐसे लोगों का नाम एनआरसी में शामिल किया जाना चाहिए।
उसी निर्देश के मुताबिक काम जारी था और एनआरसी की पहली ड्राफ्ट लिस्ट 31 दिसंबर 2017 को छप चुकी है, जबकि दूसरी लिस्ट 30 जून तक छपनी है। इस बीच फैमिली ट्री यानी परिवार की वेरिफिकेशन के संदर्भ में एनआरसी के कोआर्डिनेटर ने कुछ दिनों पहले सभी जिला के अधिकारीयों को निर्देश दिया है कि जो लोग फोरेन ट्रिब्यूनल के जरिये डी वोटर करार दिए गए हैं न तो उनका नाम एनआरसी में शामिल होगा और उनके साथ ही उनके भाई, बहन, बेटा बेटी आदि जैसे रिश्तेदारों का नाम भी शामिल न किया जाएगा।