असम में पुलिस उत्पीड़न से हसन अली की मौत, आरोपी पुलिस अधिकारी गिरफ्तार

गुवाहाटी। जनवरी की रात एक पुलिस दल की टीम अधिकारी रंजीत हजारिका के साथ असम राज्य के मंगल्दोई जिले के नं. 2 अटकाका गांव में हसन अली के घर पर आधी रात को अवैध हथियार रखने संदेह पर छापा मारती है। पुलिस को छापे में कुछ भी नहीं मिलता है।

हसन, जो दक्षिण राज्य कर्नाटक में मजदूरी करता है, हाल ही अपनी पत्नी और बच्चों सहित घर वापस आया था। परिवार के लिए वह अकेला कमाने वाला व्यक्ति है। हसन की पत्नी जमीरून्निसा ने बताया कि उसके पति को घर से बाहर खींच लिया गया और चार पुलिसकर्मी उसे आंगन में बेरहमी से मारा गया।

पुलिस वालों ने अपना चेहरा कपड़े से ढंक दिया था। कुछ देर बाद उसके पति को उल्टी हुई और वह बेहोश हो गया। उसको घर से 12 किलोमीटर दूर मंगलडोई सिविल अस्पताल ले जाया था, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अगली सुबह जब हसन की मौत की खबर फैल गई, तो बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने पुलिस के अत्याचारों के खिलाफ विरोध किया और न्याय की मांग की। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई।

दाररंग जिले के एक छात्र कार्यकर्ता ऐनुद्दीन अहमद का दावा है कि असम में पुलिस हिरासत में लेकर मुसलमानों को प्रताड़ित करती है। ऐनुद्दीन का संगठन ऑल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ (एएएमएसयू) अल्पसंख्यकों के अत्याचार और उत्पीड़न के शिकार लोगों के लिए काम करता है।

ऐनुद्दीन ने कहा, ‘असम के हजारों वास्तविक भारतीय मुस्लिमों को बांग्लादेश से अवैध प्रवासी होने के बहाने उनका उत्पीड़न किया गया है और 2,000 से ज्यादा लोगों को पूरे राज्य में नजरबंद शिविरों में रखा गया है। राज्य की राजधानी गुवाहाटी में स्थित वकील अमन वादुद राज्य के उत्पीड़न और लक्षित हिंसा के शिकार लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि पुलिस का रवैया हमेशा असम के मुसलमानों के प्रति सही नहीं रहा है। जब भी मुसलमान अपने अधिकारों की बात करते हैं, तब पुलिस उनकी आवाज को दबाती है। असम पुलिस प्रमुख ने घोषणा की कि हसन की मृत्यु के दोषी लोगों को दंडित किया जाएगा।

असम के पुलिस महानिदेशक मुकेश सहाय ने कहा कि वह पुलिस हिरासत में मर गया है और इस सम्बन्ध में पहले से ही एक मामला दर्ज किया गया है। सम्बंधित पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसको न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और जांच चल रही है।