NRC की पहली लिस्ट जारी होने के बाद दहशत में जी रहे हैं असम के मुसलमान!

असम सरकार ने राज्य में अवैध रूप से रहने वाले आप्रवासी मुस्लिम बांग्लादेशी लोगों की पहचान करने के लिए एक मुहिम छेड़ी है. लेकिन राज्य के मुसलमानों को डर है कि कहीं अप्रवासियों के नाम पर उन्हें ही ना बाहर कर दिया जाए.

असम के फोफोंगा गांव में रहने वाली मरजीना बीबी को डर है कि कहीं प्रशासन उनसे यह ना कह दे कि वह भारतीय नागरिक नहीं है. दरअसल 26 साल की इस महिला का नाम हाल में जारी की गयी राज्य नागरिक सूची में शामिल नहीं है.

हालांकि मरजीना अपना मतदाता पहचान पत्र दिखाकर बताती हैं कि उन्होंने साल 2016 में राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में वोट दिया था लेकिन प्रशासन उन्हें बांग्लादेशी मानता है. मरजीना को समझ नहीं आ रहा है कि उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है. मरजीना के मुताबिक, “मेरे माता-पिता का जन्म यहीं हुआ, मेरा जन्म यहीं हुआ और मैं भारतीय हूं.”

साल 2016 के असम विधानसभा चुनावों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में सत्ता की कमान संभाली. सत्ता में आने के फौरन बाद राज्य में गैरकानूनी और अवैध रूप से रह रहे मुस्लिम बांग्लादेशियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी गयी. लेकिन इस मुहिम की आड़ में कुछ हिंदूवादी संगठन अब यहां रहने वाले भारतीय मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं.

हालांकि इस मुद्दे पर बीजेपी प्रवक्ताओं ने किसी भी टिप्पणी से इनकार कर दिया. साथ ही गृह मंत्रालय ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स की ओर से भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया और न ही कोई टेलीफोन पर बात करने को तैयार है.

नागरिकता और अवैध प्रवासन भारत के चाय उत्पादक राज्य असम में एक बड़ा मुद्दा है. राज्य में तकरीबन 3.2 करोड़ लोग रहते हैं. जिसमें से एक तिहाई मुस्लिम हैं.

1980 के दशक में असम के मूल निवासियों से जुड़े संगठनों ने यहां बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया था. इन संगठनों का कहना था कि बाहर से आने वाले लोग बड़ी संख्या में उनके घर, नौकरियां और जमीन उनसे छीन रहे हैं.

सौजन्य- dw hindi