इलाहाबाद: पूर्व सांसद अतीक अहमद के मामले में हाईकोर्ट ने मंगलवार को लंबी सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है। अतीक अहमद ने अर्जी दाखिल कर कोर्ट से अपनी टिप्पणियां वापस लेने की मांग की है। इसके अलावा कोर्ट ने शुआटस प्राक्टर रामकिशन सिंह की याचिका वापस लेने की अर्जी पर भी निर्णय सुरक्षित कर लिया है। प्राक्टर की याचिका पर ही कोर्ट ने अतीक अहमद पर गंभीर टिप्पणियां की थीं। इसके बाद पुलिस हरकत में आई और अतीक को गिरफ्तार जेल भेज दिया। उनके खिलाफ चल रहे करीब 13 गंभीर आपराधिक मुकदमों में पुलिस ने जमानत निरस्त कराने की भी अर्जी दाखिल की है। याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ सुनवाई कर रही है।
अतीक के वकीलों का कहना था कि शुआट्स प्राक्टर की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन पर गंभीर टिप्पणियां कीं, जिसकी वजह से अतीक को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। कोर्ट की टिप्पणियों के चलते ही अतीक को जमानतीय अपराध में जमानत नहीं मिल सकी है। अतीक की ओर से समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का हवाला दिया गया। खंडपीठ का कहना था कि उन्होंने राज्य सरकार को ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है।
इस अदालत ने पुलिस को सिर्फ सुप्रीमकोर्ट के उस आदेश के बारे में बताया है, जिसमें सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि एक के बाद दूसरा अपराध करने वालों की जमानत निरस्त की जानी चाहिए। ऐसे अपराधियों को जमानत न देकर कई लोगों की जानें बचाई जा सकती हैं।
अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने कोर्ट को बताया कि शुआट्स मामले में सभी 11 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। एक शस्त्र बरामद हुआ है। बाकी की तलाश की जा रही है। जांच अभी जारी है। पुलिस ने बरामद असलहे की बैलेस्टिक रिपोर्ट भी मंगाई है। प्राक्टर रामकिशन द्वारा अर्जी वापस लेने की मांग करने को अदालत ने दबाव मानते हुए कहा कि जिस व्यक्ति पर हत्या जैसे संगीन अपराध के कई मुकदमे दर्ज हों उसके खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।