नज़रिया: जिन्ना विवाद, तारीफ पर एतराज़ नहीं, तस्वीर पर गुस्सा?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एक ऐसे विषय पर हंगामा किया जा रहा है जिसपर न तो कभी कोई एतराज़ किया गया न बहस की जरूरत पेश आई। खुद भाजपा ने यह सवाल कभी नहीं उठाया जबकि अपने विपक्षी के दौर में उसे विवादित विषयों की तलाश रहती थी और यह तस्वीर आज, कल, सप्ताह या दो सप्ताह पहले प्रदर्शित नहीं गई, बल्कि बरसों से है। सांसद सतीश गोतम की नेतृत्व में पिछले कुछ दिनों से जो कुछ भी हो रहा है वह महज इस एहसास के तहत है कि “हम पावर में हैं और पावर का मतलब यह है कि हम उस चीज़ को भी मुद्दा बना सकते हैं जो कभी मुद्दा नहीं थी।यह हम इस लिए करते हैं कि हमें हिंदुत्व का झंडा ऊँचा रखना है” ।

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अगर भाजपाइयों को जिन्ना की तस्वीर पर एतराज़ है तो मुंबई में स्थित उनके बंगला पर एतराज़ क्यों नहीं है? भाजपा ही के एक नेता मंगलवार पर भातलोधा एक से अधिक बार मांग कर चुके हैं कई जिन्नाह हाउस को सांस्कृतिक केंद्र बनाया जाए जो मुंबई के वीआईपी इलाकों में से एक में स्थित है।

एक ओर आपको तस्वीर गवारा नहीं है जिसकी मौजूदगी के एतिहासिक कारण हैं। दूसरी ओर आप उनके आवास को सांस्कृतिक केंद्र बदलना चाहते हैं तो उसका मतलब यह है कि आप फैसला ही नहीं कर पाए हैं कि आपको जिन्ना से बैर है या नहीं है।