म्यांमार की सर्वोच्च नेता औंग सान सू के ख़िलाफ नॉर्वेजियन नोबेल समिति में एक ऑनलाइन याचिका दाख़िल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि रोहिंग्या नरसंहार पर चुप्पी और सहभागिता के लिए आंग सान सू से नोबेल शांती पुरस्कार वापस लिया जाए।
बोस्निया के इका फेरर जी द्वारा बनाई गई इस याचिका को अमेरिका के शक्तिशाली ऑनलाइन नेटवर्क अवाज़ द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस याचिका पर अब तक डेढ़ लाख लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं।
इसके ज़रिए लोगों ने नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू को अंतर्राष्ट्रीय अदालत (ICJ) में पेश करने की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि आंग सान सू म्यांमार में जारी हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं। पिछले साल से आंग सान सू म्यांमार में स्टेट काउंसेलर हैं, जहां उत्तरी राखीन राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों को गोली मारी जा रही है, उनके साथ छेड़छाड़, लूट और बलात्कार जैसी वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। राखीन में सैकड़ों हजार लोगों को घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
रायटर्स के मुताबिक, एक छोटा से दक्षिण पूर्वी एशियाई देश म्यांमार की स्थिति अगस्त में बौद्ध और रोहिंग्या मुसलमानों के बीच टकराव की वजह से बेहद ख़राब गई। इस हिंसा में अगस्त के अंत तक देश में करीब 400 लोग मारे गए।
विवियन टैन, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) की स्थानीय प्रवक्ता ने रायटर को बताया कि हिंसा के बाद करीब 73 हज़ार रोहिंगिया मुसलमान शरण लेने के लिए पड़ोसी देश बांग्लादेश पहुंच गए।