मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने कल यहां ऐतिहासिक शहर औरंगाबाद की वक्फ बोर्ड की मिलकियत वाली 138 संपत्तियों जिसमें ज्यादातर मस्जिदें और दरगाहें शामिल हैं, के विध्वंस पर अस्थायी रोक लगा दी है।
जस्टिस एसएस खेमकर और जस्टिस एनडब्ल्यू सामरे वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने आज यह फैसला राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष एमएम शेख की ओर से दायर याचिका के सुनवाई के दौरान दिया। जिसमें औरंगाबाद नगर निगम की ओर से तैयार की गई उस सूची को चुनौती दी गई थी जिसमें उक्त संपत्तियों के विध्वंस का नोटिस जारी किया गया था।
अदालत में वक्फ बोर्ड के वकील सईद शेख और अन्य ने अदालत को बतलाया कि सार्वजनिक स्थानों पर अवैध धार्मिक स्थलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय दिया था, उस निर्णय के हिसाब से औरंगाबाद नगर निगम ने एक हजार एक सौ एक धार्मिक स्थानों को ध्वस्त करने का फैसला किया है और उस संबंध में निगम ने नोटिस भी जारी कर दिया है।
अदालत को बतलाया गया कि जिन धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने का फैसला किया गया है, उसमें सैकड़ों बरसों पुरानी व पुरातात्विक श्रेणी में आने वाली वक्फ बोर्ड की 138 मस्जिद और दरगाहें शामिल हैं।
अदालत को बताया गया कि निगम ने जब उस संबंध में आपत्तियां और सुझाव मांगे थे, तब वक्फ बोर्ड ने उन संपत्तियों के विध्वंस को लेकर आपत्ति दाखिल किए थे और उसे प्राचीन और कानूनी होने के सबूत पेश किए थे। लेकिन इसके बावजूद निगम ने उन आपत्तियों पर कोई निर्णय नहीं लिया।