अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 11 अगस्त से सुनवाई होनी है। इस अहम सुनवाई से पहले शिया वक्फ बोर्ड ने अदालत में हलफनामा दायर किया है।
शिया वक्फ बोर्ड ने अपने हलफनामे में कहा है कि मस्जिद को राम जन्मभूमि से थोड़ी दूर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाया जाना चाहिए। बोर्ड का कहना है कि दोनों धार्मिक स्थल के पास होने से झगड़े की आशंका होगी, मंदिर और मस्जिद दोनों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाता है।
बोर्ड ने यह भी कहा कि साल 1946 तक बाबरी मस्जिद उनके पास थी अंग्रेजों ने गलत कानून प्रक्रिया से इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया था। शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद मीर बकी ने बनवाई थी जो कि शिया था।
शिया वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ थी इसलिए इस मामले में दूसरे पक्षकारों के साथ बातचीत और एक शांतिपूर्ण समाधान तक पहुंचने का अधिकार केवल उसी के पास है। शिया वक्फ बोर्ड ने कहा है कि अगर मंदिर-मस्जिद का निर्माण हो गया तो इस लंबे विवाद और रोज-रोज की अशांति से मुक्ति मिल जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद मामले की सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ तय कर दी है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की पीठ अपीलों पर 11 अगस्त से मामले की सुनवाई करेगी। इस विशेष पीठ के गठन के बाद सात वर्षो से लंबित इस मामले में नियमित सुनवाई और जल्दी निपटारे की उम्मीद जगी है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2010 में अपनी व्यवस्था में इस भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच तीन हिस्सों में बराबर-बराबर बांटने का निर्देश दिया था।