राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान कहा कि पहले आठ भाषाओं में मौजूद संबंधित कागजातों का अंग्रेजी में अनुवाद होना चाहिए। इसके लिए तीन महीने का समय कोर्ट ने दिया है। मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।
इस मामले में सबसे पहले सिविल सूट की अर्जियों पर सुनवाई होगी। इससे पहले करीब 20 याचिकाओं पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। मामले से जुड़े पक्षकारों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।
बाबरी मस्जिद और रामजन्म भूमि विवाद की 6 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच इस मामले की सुनवाई हुई। कुछ दिन पहले ही CJI खेहर ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के जल्द सुनवाई की अपील पर कहा था कि वो सोच रहे हैं कि जल्द सुनवाई के लिए बेंच का गठन कर दिया जाए।
इस विवाद में पहले कोर्ट ने सलाह दी थी कि सभी पक्षों को आपसी सहमति से मसले का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि ऐसी स्थिति में मध्यस्थता के लिए किसी जज की नियुक्ति की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संवेदनशील और आस्था से जुड़ा बताते हुए पक्षकारों से बातचीत के जरिये आपसी सहमति से मसले का हल निकालने को कहा था।
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने साल 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश दिया था।