अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) बनाने के मुद्दे पर केन्द्र सरकार की तरफ से अध्यादेश (ordinance) लाने या संसद के कानून बनाने की संभावनाएं बेहद क्षीण हैं।
सरकार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में होने वाली सुनवाई का इंतजार करेगी। उसे उम्मीद है कि 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट जब इस मामले को सुनेगा तो जल्द सुनवाई पूरी करने का रास्ता निकलेगा।
BJP के एक प्रमुख नेता ने कहा कि विपक्ष की मंशा है कि BJP राम मंदिर का मुद्दा ले, ताकि उसे BJP को घेरने का मौका मिले और भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे विपक्षी नेताओं की ओर से जनता का ध्यान हटे। इस नेता ने साफ किया कि जो साक्ष्य है उससे तय है कि सुप्रीम कोर्ट से मंदिर के पक्ष में ही फैसला आएगा।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक बीजेपी व सरकार का दावा है कि उसके कदम देश को आर्थिक और ढांचागत मजबूती की तरफ ले जाने वाले हैं। भ्रष्टाचार पर लगाम कसी गई और विकास में तेजी आई है।
ऐसे में राम मंदिर के मुद्दे पर वह अपनी इन सारी उपलब्धियों को ठंडे बस्ते में नहीं डाल सकती। किसानों के मुद्दे पर विपक्ष को मिली सफलता की काट के लिए सरकार किसानों के लिए बेहतर योजना लेकर आ रही है। इससे किसानों को उनकी फसलों का ज्यादा मूल्य मिल सकेगा और कर्ज से भी राहत मिल सकेगी।
भले ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाने के बारे में अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) , विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के अलावा तमाम हिन्दुवादी संगठनों और साधु-संतों ने इस बारे में सरकार से पहल करने की मांग की है।
सरकार के कुछ मंत्री भी दबे स्वर में राम मंदिर के पक्ष में लगातार बयान दे रहे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बात कह रही है।
के अलावा तमाम हिन्दुवादी संगठनों और साधु-संतों ने इस बारे में सरकार से पहल करने की मांग की है. सरकार के कुछ मंत्री भी दबे स्वर में राम मंदिर के पक्ष में लगातार बयान दे रहे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बात कह रही है।
राम मंदिर को लेकर अध्यादेश और विधेयक लाने को लेकर सरकार के पास अब बहुत अधिक अवसर नहीं है। चुनाव से पहले अंतिम बार संसद का मानसून सत्र बुलाया जाना है। इसके बाद लेखानुदार पारित कराने के लिए एक संक्षिप्त सत्र बुलाया जा सकता है. इस तरह सरकार के पास अब बहुत मौके नहीं हैं।
अयोध्या राम मंदिर बनाने को लेकर अध्यादेश लाना कोई बड़ी बात नहीं है। 25 साल पहले कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार राम मंदिर को लेकर अध्यादेश लाई थी। दूसरी ओर, केंद्र सरकार का अभी इस बारे में कोई स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है।
हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद के अलावा तमाम हिंदूवादी संगठन इस बारे में केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं। खासकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अगले साल तक के लिए सुनवाई टाले जाने के बाद अध्यादेश को लेकर आवाज बुलंद हुई है।