बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि मामले में 1994 के स्माइल फारुकी के फैसले में पुनर्विचार के लिए मामले को संविधान पीठ भेजने की मांग वाली मुस्लिम पक्षों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (28 सितंबर) को आदेश दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट के एडवांस लिस्ट के मुताबिक, 28 सितंबर को फैसला सूचीबद्ध है।
दरअसल, मुस्लिम पक्षों ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का जरूरी हिस्सा न बताने वाले इस्माइल फारुकी के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। पिछली सुनवाई में मुस्लिमों पक्ष के वकील राजीव धवन के हिन्दू तालिबानी शब्द का प्रयोग करने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि कोर्ट ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाए।
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा था कि वे अपनी बात पर क़ायम हैं। धवन ने फिर कहा था कि जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद ढहाई थी वे हिन्दू तालिबानी थे। जैसे बमियान में मुस्लिम तालिबान ने बुद्ध की मूर्ति गिराई थी।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने राजीव धवन की भाषा पर ऐतराज जताते हुए कहा था कि ये भाषा गलत है और वकील कोर्ट की गरिमा और भाषा का ध्यान रखें, जिस पर राजीव धवन ने कहा था कि वे चीफ जस्टिस से सहमत नहीं है और उन्हें असहमत होने का अधिकार है, वे अपनी बात पर क़ायम है। कोर्ट में मौजूद वकीलों ने धवन के हिन्दू तालिबान कहने का विरोध किया था।