नई दिल्ली: भारतीय रेलवे द्वारा वर्ष 2004 में शुरू की गई स्कीम, जिसमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाले कर्मचारियों के बच्चों को नौकरी दी जाती है। रेलवे की इस स्कीम पर मोदी सरकार ने फिलहाल रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि सरकार यह फैसला इसलिए लिया है कि यह स्कीम संवैधानिक रूप से सही है या नहीं, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का भी फैसला किया गया है।
Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2004 में नितीश कुमार जब रेल मंत्री थे उसी समय लिबरलाइज्ड एक्टिव रिटायरमेंट स्कीम फॉर गारंटीड एम्प्लॉयमेंट फॉर सेफ्टी स्टाफ (LARSGESS) की शुरुआत की गई थी। जिसे पिछले महीने रेल मंत्रालय के एक आदेश के बाद इस स्कीम पर रोक लगा दी गई है। सभी क्षेत्रीय रेलवे को एक ऑर्डर जारी कर दिया गया है, जिसमें लिखा है, ‘अगला आदेश आने तक के लिए LARSGESS को रोक दिया जाए।
बता दें कि LARSGESS उन लोगों के लिए है जो रेल में सुरक्षा के क्षेत्र जैसे- ड्राइवर्स और गनमैन की नौकरी करते हैं, ऐसे लोगों को हमेशा ही चुस्त-दुरुस्त रहना होता है, लेकिन एक निश्चित उम्र के बाद चुस्ती खत्म हो जाती है। इसलिए ऐसे में अगर ये कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेते हैं तो उनके बच्चों को नौकरियां दी जाती है। जबकि साल 2004 के बाद से करीब 20,000 लोगों को इस स्कीम के तहत नौकरियां दी जा चुकी हैं।