लोकसभा चुनाव के बाद जो स्थिति है उसमें कांग्रेस समेत सम्पूर्ण विपक्ष सोच की मुद्रा में है। इस समय विपक्षी एकता की बात भी चल रही है तो नए सिरे से आने वाले छोटे और बड़े चुनावों की तैयारी की बात भी चल रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक ऐसे नेता हैं जिनका सम्मान सभी विपक्षी दलों में होता है। मनमोहन सिंह को लेकर ये बात चल रही है कि कांग्रेस उन्हें राज्यसभा में भेजना चाहती है। पार्टी उन्हें असम से राज्यसभा भेजना चाहती है।
असम में लेकिन कांग्रेस के विधायकों की संख्या कम है और ऐसे में उसे समर्थन की ज़रूरत है। कांग्रेस को असम की AIUDF ने समर्थन की अप्रत्यक्ष पेशकश की है। इस बारे में पार्टी के अध्यक्ष बदरुद्दीन अमल ने एक अहम् बयान दिया है।
असल में असम से राज्यसभा की दो सीटें ख़ाली हो गई हैं और इसको लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। असम में एक सीट जीतने के लिए 42 वोट की जरूरत है। भाजपा की अपनी सीटें 61 हैं।इसका मतलब है कि एक सीट वह अपने दम पर जीत सकती है।
दूसरी सीट को लेकर सहयोगी पार्टियाँ असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट की ज़रूरत महसूस होगी. 14 विधायक असम गण परिषद के हैं जबकि बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के 12 विधायक हैं.
असम गण परिषद के नेता इस समय तेवर भी दिखा रहे हैं और वो नहीं चाहते कि कोई बाहरी यहाँ से राज्यसभा जाएँ। असम विधानसभा में 13 सीटों वाली पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता बदरूद्दीन अजमल चाहते हैं कि कांग्रेस दूसरी सीट से उम्मीदवार दे।
अजमल ने कहा है कि वे चाहते हैं कि कांग्रेस फिर से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उतारे।ध्यान रहे मनमोहन सिंह 1991 से इस राज्य से सांसद हैं और इस बार जून में रिटायर हो रहे हैं।
अगर कांग्रेस ने अजमल की बात पर ध्यान दिया और मनमोहन सिंह की बजाय कोई दूसरा उम्मीदवार भी उतारा तो दूसरी सीट पर अच्छी फाइट हो जाएगी।
ध्यान रहे असम में कांग्रेस की 25 सीटें हैं.कांग्रेस और अजमल की पार्टी मिल जाएं तो उनको चार वोट की कमी रह जाएगी। दोनों पार्टियों को लग रहा है कि अगर भाजपा ने बाहरी उम्मीदवार भेजा तो अगप के कुछ विधायक क्रास वोटिंग कर सकते हैं। अब इस बारे में बहुत नज़दीक से कांग्रेस को भी चिंतन करने की ज़रूरत है।