कुर्बानी के लिए रखे थे पैसे, बाढ़ पीड़ितों की परेशानी देखी तो मदद के लिए दे दिए 60 हज़ार रुपए

बिहार: आज देशभर में मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद की ख़ुशी मना रहे हैं। वहीं भागलपुर में गोराडीह के 65 साल किसान मोहम्मद कमरुज्जमा ने कुर्बानी न देकर इंसानियत का रास्ता अपनाया है।

जहाँ मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद से पहले बकरे की खरीद-फरोख्त में जुटे हुए थे। वहीं
मोहम्मद ने इस बकरीद पर पीड़ितों की मदद की है। मोहम्मद का कहना है कि ये त्योहार तो आते ही रहेंगे। लेकिन इस वक़्त इंसानियत को बचाने के नेक काम ज्यादा जरूरी है।
दरअसल मोहम्मद ने भी बकरे की खरीद के लिए 60 हजार रुपए बचा कर रखे थे। लेकिन उन्होंने जब कोसी से जुड़े इलाकों में बाढ़ के बाद मची तबाही को देखा तो इस 60 हजार को बाढ़ पीड़ितों को मदद करने के लिए देना ज्यादा मुनासिब समझा।

बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए ही वह इस साल वह वाजिब के अलावा मुसतहब के तौर पर करने वाली बकरे की कुर्बानी नहीं देने का फैसला लिया है। इस साल वे उस पैसे से बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं।

मोहम्मद ने इन 60 हजार रुपए से बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद के लिए राहत सामग्री खरीदी और दिन-रात मेहनत कर पैकेट तैयार किए।

हर पैकेट में उन्होंने 5 किलो चूड़ा, 1.25 किलो चना, एक किलो चीनी, एक टॉर्च, एक किलो मसूर दाल, आधा किलो नमक आदि डाला है
उन्होंने ये सामग्री बाढ़ पीड़ितों में बांटने के लिए अपने बेटे को कटिहार जिले के सालमारी प्रखंड के मखदुमपुर गांव में भेजा।

 

मोहम्मद का कहना है कि वंचितों और कमजोर तबकों की मदद की प्रेरणा कमरुज्जमा को बचपन में मां से मिली है। क्यूंकि उनकी माँ गरीबी में भी दूसरों की मदद करती थीं। मां से मिली प्रेरणा की वजह से आज वह बाढ़ पीड़ितों की मदद को आगे आए।