रोहिंग्या आबादी को कम करने की योजनाओं पर बांग्लादेश की नजर

बांग्लादेश में मौजूद रोहिंग्याओं के शिविरों में जन्मदर नियंत्रण के प्रयासों को बढ़ावा देने में नाकाम रहने के बाद बांग्लादेश एक नया प्रयोग करने जा रहा है। बांग्लादेश अब उनकी बेहिसाब आबादी पर अंकुश लगाने के लिये स्वैच्छिक नसबंदी शुरू करने की योजना बना रहा है। शिविरों में रह रहे करीब 10 लाख रोहिंग्या रहने के लिए जगह की कमी से जूझनेे के कारण ऐसा कदम उठाया जा रहा है।

बांग्लादेश इस समय परेशानी की स्थिति में है क्योंकि पड़ोसी देश म्यांमार में अगस्त में सैन्य कार्यवाई के बाद से छह लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश में आये हैं, जिससे इस गरीब देश के मानव संसाधनों पर भार बढ़ता जा रहा है

म्यांमार के रखाइन प्रांत से में पलायन करके हजारों रोहिंग्या शरणार्थी यहां पहुंचे हैं।इनमें से अधिकतर बेहद दयनीय हालत में रह रहे हैं जिन्हें भोजन, स्वच्छता या स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद सीमित सुविधा उपलब्ध है

स्थानीय अधिकारियों ने गर्भनिरोधक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिये मुहिम शुरू की है लेकिन उन्होंने कहा कि अब तक इन शरणार्थियों के बीच वे महज 549 कंडोम के पैकेट ही वितरित कर पाये हैं।

उन्होंने कहा कि इन गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल के प्रति रोहिंग्या अनिच्छुक नजर आते हैं। भट्टाचार्य ने बताया कि उन्होंने सरकार से रोहिंग्या पुरूषों में नसबंदी और रोहिंग्या महिलाओं में बंध्याकरण शुरू करने की योजना को मंजूरी देने के लिये कहा है।

कई शरणार्थियों का मानना है कि अधिक आबादी से उन्हें शिविरों में गुजारा करने में मदद मिलेगी, क्योंकि ऐसे हालात में वे अधिक बच्चे होने पर उन्हें रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों को हासिल करने के काम में लगा सकते हैं। कई अन्य ने बताया कि गर्भनिरोधक इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है।

बहरहाल अनुमान है कि इस कार्य में उन्हें बेहद संघर्ष का सामना करना होगा।