मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ आज देश के सरकारी बैंकों की हड़ताल

युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर आज (मंगलवार) को देश के सरकारी बैंक हड़ताल पर हैं। इससे देशभर के सार्वजनिक बैंकों की 1,32,000 शाकाओं के कामकाज प्रभावित होंगे।

इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने पहले से ही ग्राहकों को सूचित किया है कि हड़ताल के चलते शाखाओं और कार्यालयों के कामकाज प्रभावित हो सकते हैं। इसने बैंकों से भी प्रभाव को कम करने के लिए अग्रिम उपाय करने के लिए कहा है। बैंक की शाखाओं में जमा और निकासी, निकासी की जांच, एनईएफटी और आरटीजीएस लेनदेन सरीखे काम प्रभावित होंगे।

हालांकि आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे निजी बैंको में हड़ताल नहीं है। ऐसे में अगर आपके खाते प्राइवेट बैंकों में हैं तो आपको दिक्कत नहीं होगी। यहां सभी काम काज सामान्य रूप से चलते रहेंगे।

यूएफबीयू, अखिल भारतीय बैंक अधिकारियों के परिसंघ (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) और बैंक वर्कर्स नेशनल ऑर्गनाइजेशन (एनओबीडब्ल्यू) सहित 9 यूनियनों का एक समूह है। 

एआईबीओसी के महासचिव डी टी फ्रांको ने कहा, ‘मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष मेल-मिलाप को लेकर बैठक विफल रही है, ऐसे में यूनियनों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। सरकार तथा बैंक प्रबंधन की तरफ से कोई आश्वासन नहीं मिला है।’

भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से सम्बद्ध नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) की जारी विज्ञप्ति के अनुसार सरकार ने हड़ताल को टालने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इसलिए हड़ताल के कारण बैंक ग्राहकों को होने वाली किसी भी दिक्कत के लिए सीधे सरकार ही जिम्मेदार होगी।  यूनियनों ने हड़ताल के लिए तीन अगस्त को ही नोटिस दे दिया था। एनओबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा है कि सरकार बैंक कर्मियों की मांग को लेकर ‘उदासीन’ बनी हुई है।

बैंक कर्मचारियों की यह हड़ताल बैंकों के निजीकरण और विलय के खिलाफ है। बैंक यूनियनों की मांग है कि बैंकों में सभी पदों पर भर्ती की जाए और बैंकों में अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां भी की जाएं। यूनियनों का कहना है कि नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मचारियों ने कई घंटे अतिरिक्त बैठक काम किया है। उन्हें अतिरिक्त काम का ‘ओवरटाइम’ दिया जाना चाहिए।