मिल्ली मुद्दे के आधार पर ही प्रधानमंत्री से मिला जाए: मौलाना जलालुद्दीन उमरी

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में पिछले 4 साल में ऐसे बहुत कम मौके आये हैं, जिन में प्रधानमंत्री ने मिल्ली नेताओं से मिले हों।

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पिछले रोज़ जोर्डन के शाह अब्दुल्लाह सानी इब्न अल हुसैन की मौजूदगी में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के मुस्लिम नेताओं से मुलाक़ात की तो ऐसे में देश की एक बड़ी और प्रभावशाली संगठन जमाते इस्लामी वहां नजर आई। वहीं इस कार्यक्रम के ठीक दो ही दिन बाद जब इस गैर हाजिरी की वजह सामने आई तो उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

जमाते इस्लामी हिन्द के अमीरे जमात ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में आयोजित होने वाले कार्यक्रम और उसमें शामिल मिल्ली नेतृत्व और उनकी संगठन की शामिल न करने के सवाल पर जवाब दिया कि प्रधानमंत्री की कार्यालय या किसी और जगह से उन्हें अधिकारिक तौर पर कोई बुलावा नहीं दिया गया था।

अमीरे जमात ने कहा कि जब हमें मिलना होगा हम मुलाक़ात कर लेंगे, मगर इस तरह बिना किसी वजह के उन कार्यक्रम में जाना गैर मुनासिब महसूस होता है, जिन लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है वह पहले भी वहां जाते रहे हैं, मगर हम यह जानते हैं कि प्रधानमंत्री से जब भी मुलाक़ात हो गई मुद्दे के आधार पर होगी और सिर्फ दिखावा नहीं होगा बल्कि काम की ही बात की जाएगी।