नई दिल्ली: लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को पूरी तरीके से लागू करने में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के प्रति सख्त रवैया अपना लिया है. बीसीसीआई के प्रमुख अनुराग ठाकुर की ओर से दायर हलफनामे को सुप्रीम कोर्ट ने धोखाधड़ी ठहराया है. चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि बीसीसीआई प्रमुख अनुराग ठाकुर पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है. इसके लिए ठाकुर को जेल भी हो सकती है.
प्रदेश 18 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट लोढ़ा कमिटी के सुझावों पर अमल करते हुए एक वर्किंग पैनल ला सकती है. अनुराग ठाकुर समेत उच्च अधिकारियों को हटा भी सकती है. फैसला 2 या 3 जनवरी को सुनाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी से पूछा कि क्या अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के सामने झूठे तथ्य रखे? इस पर एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि बीसीसीआई प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में झूठ कहा था.
उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई चेयरमैन के रूप में शशांक मनोहर से विचार लिया था. अनुराग ठाकुर ने सुधारों की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई.
आप को बता दें कि 2013 में दिल्ली पुलिस ने आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल के तीन खिलाड़ियों को मैच के दौरान स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इसी मामले में चेन्नई सुपर किंग्स के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन की भी गिरफ्तारी हुई.
इस मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस मुकुल मुद्गल के नेतृत्व में मुद्गल कमेटी बनाई. 2014 में जस्टिस मुद्गल ने बीसीसीआई में सुधार की बात अपने रिपोर्ट में कही थी.
जस्टिस मुद्गल की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की कार्यपद्धति में बदलाव के लिए जनवरी 2015 को जस्टिस आरएम लोढ़ा के नेतृत्व में तीन सदस्यों की कमेटी बनाई.
जुलाई, 2015 में लोढ़ा पैनल ने अपना फैसला सुनाते हुए राजस्थान रॉयल और चेन्नई सुपर किंग्स को दो-दो साल के लिए आईपीएल से बैन कर दिया था.
साथ ही सीएसके के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल के मालिक राज कुंद्रा को क्रिकेट गतिविधियों से दूर रहने के लिए कहा था.
उल्लेखनीय है कि मयप्पन तत्कालीन बीसीसीआई प्रेसिडेंट एन. श्रीनिवासन के दामाद हैं.