बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में छात्रा के साथ छेड़छाड़ का मामला एक गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा हॉस्टल खाली कराने का आदेश मिलने के बाद रविवार सुबह से ही छात्राएं अपने अपने घर को वापिस जा रही है।
इस घटना के बाद छात्राओं में काफी गुस्सा और आक्रोश है। उनका कहना है कि अगर वीसी को यूनिवर्सिटी और छात्राओं की चिंता होती तो आज यह नौबत ही नहीं आती।
हम यहाँ पर कैसे रह सकते हैं, जिनपर हमारी सुरक्षा का जिम्मा है, उन्होंने ही आधी रात को हमें हॉस्टल में घुसकर जानवरों की तरह मारा-पीटा है। इस लाठीचार्ज से ज्यादा शर्मनाक क्या होगा?
छात्राओं ने कहा कि हम कोई आतंकी नहीं हैं और न ही हमने कोई अपराध किया है। जोकि हमारे साथ इस तरह का सलूक किया जा रहा है। पुलिसवाले हमें अपराधियों की तरह देख रहे हैं।
छात्राओं का कहना है कि अगर एक छात्रा का भी मामला होता तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए था। यहां तो सैकड़ों छात्राएं सड़क पर उतरी थीं फिर भी उसकी अनदेखी की गई।
क्या एक यूनिवर्सिटी के वीसी की इतनी जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे अपनी छात्राओं की समस्या सुनें, समझें? आखिर हम अपना परिवार, माता-पिता और घर को छोड़कर उनके ही भरोसे तो यहां आकर रह रहे हैं। फिर हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया जा रहा है।
छात्राओं का कहना था कि अब हम तभी हॉस्टल वापस आयेंगे जब हमारे सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था कर ली जायेगी।