शराब प्रतिबंध का दायरा बढने के साथ देश के पर्यटन उद्योग के लिए खतरा पैदा हो रहा है. इसी दौरान नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने आज कहा कि यह तय करना राज्यों का काम नहीं है कि पर्यटकों को क्या पीना और क्या खाना चाहिए.
विश्व आर्थिक मंच के भारत आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांत ने कहा, राज्यों को इस मामले में नहीं पड़ना चाहिए कि पर्यटक को क्या खाना चाहता है और क्या पीना चाहता है. यहा उनका निजी मामला है. उनसे पूछा गया था कि क्या बीफ और शराब पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य यह नहीं समझ पाए हैं कि दुबई क्यों इतना शानदार प्रदर्शन करता है. जिस देश को भी पर्यटकों की जरूरत है तो वह उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराता है. उन्होंने कहा, कुछ चीजों को मैं लंबे समय से मानता हूं. कांत ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि पर्यटकों के वास्ते बेहतर अनुभव का सृजन होना चाहिए.
भारत में व्हिस्की की बिक्री दुनिया में सबसे अधिक है. इसकी वजह से कई सामाजिक बुराइयां पैदा हुई हैं. चार राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल और दमन ने शराब की बिक्री पर रोक लगाने की योजना बनायी है. वहीं गुजरात, बिहार, नगालैंड और मणिपुर में शराब पहले से प्रतिबंधित हैं. इसके अलावा इन राज्यों का कहना है कि दुर्घटनाओं की एक प्रमुख वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना है. यह पूछे जाने पर क्या उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व को अपने इन विचारों से अवगत कराया है.
उल्लेखनीय है कि कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शराब के बढ़ते चलन पर चिंता प्रकट की थी और कहा था कि अगर ऐसा ही रहा तो यह हमारे समाज को 20-25 सालों में बर्बाद कर देगा.